मधुमेह की बीमारी इनदिनों आम हो गई है। अनियमित दिनचर्या, खानपान में लापरवाही, हार्मोनल, और अनुवांशिक कारणों से शुगर की बीमारी हो जाती है। शुगर लेवल बढ़ जाने से कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। डायबटीज होने पर पूरी जिंदगी ब्लड शुगर कंट्रोल करना पड़ता है। इसकी मॉनिटरिंग करनी पड़ती है। मधुमेह याने डायबटीज के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल 14 नंवबर को 'वर्ल्ड डायबिटीज-डे' भी मनाया जाता है। ताकि लोगों को शुगर की वजह से होने वाली अन्य बीमारियों के खतरे से सुरक्षित रखा जा सके।

मधुमेह की इसकी वजह से कई अन्य बीमारियों जैसे हाई बीपी, किडनी और हार्ट की बीमारी का खतरा बढ़ जाता है। शुगर पेशेंट्स को अपने खान पान का खास ख्याल रखना चाहिए। उनकी डाइट में कार्ब्स की मात्रा कम होनी चाहिए। वहीं शरीर में हेल्दी फैट की पूर्ति के लिए नट्स, सीड्स और शुद्ध तेल और शुद्ध घी का उपयोग सीमित मात्रा में किया जा सकता है। 

डायबिटीज पेशेंट्स को दो वक्त के खाने में कम अंतर रखना चाहिए। हर 2-3 घंटे के बीच थोड़ा सा खाना खाने से शुगर लेवल कंट्रोल रहता है। दो मील के बीच ज्यादा समय हो जाने से खाने ज्यादा खाने में आ जाता है। जिससे एक बार में ही ब्लड शुगर लेवल बढ़ने लगता है। जिसकी वजह से नुकसान होने की आशंका रहती है।

शुगर पेशेंट्स को नेचुरल शुगर लेना चाहिए, वे फलों से पूरी तरह परहेज ना करें और लेकिन सेब, संतरा, कीवी, अमरूद, पपीता, आंवला, नींबू, जामुन जैसे फलों को डाइट का हिस्सा बनाएं।

वहीं सब्जियों में हरी पत्तेदार सब्जियां, पालक, मेथी, बथुआ, लाल भाजी, मूली, भिंडी, खीरा, शलजम, कद्दू, शिमला मिर्च, करेला, कद्दू और कच्चे केला, टमाटर, पत्तागोभी, फूलगोभी, गाजर, ब्रोकली जैसी सब्जियां खाई जा सकती हैं।

ज्वार, बाजरा, मक्का, गेंहूं, रागी, साबुत चने का मिक्स आटा, और इन्हीं अनाजों की दलिया खाने से लाभ होता है। मिक्स अनाज का सेवन करने से एक साथ शुगर लेवल नहीं बढ़ता। शुगर पेशेंट्स को दालचीनी, ग्रीन टी, छाछ, टोंड मिल्क, लहसुन का सेवन भी करना चाहिए। शक्कर की जगह गुड़ या खांड का उपयोग करें। खाना 3 से 4 बार में छोटे-छोटे अंतराल के बाद खाएं।

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इंसान के लिए तनाव सबसे ज्यादा खतरनाक लेना है। इसकी वजह से हार्मोन्स का बैलेंस बिगड़ जाता है। मानसिक और शारीरिक सेहत पर भी असर होता है। तनाव से भी ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाता है, जिसकी वजह से दिल की सेहत बिगड़ जाती है।

डायबटीज के मरीजों को कम से कम 7-8 घंटे की पर्याप्त नींद लेना चाहिए। एक्सपर्ट्स का मानना है कि सोते समय शरीर के अधिकांश हार्मोनस् बैलेंस रहते हैं। सोने से कम से कम 2 घंटे पहले खाना खा लेना चाहिए। इन छोटी-छोटी बातों का ख्याल रखकर स्वस्थ्य जीवन बिताया जा सकता है।