दिल Happy तो Life होगी Healthy , पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं को ज्यादा होता है दिल की बीमारी का खतरा

दुनियाभर में 3 में से 1 महिला की मौत दिल की बीमारी की वजह से होती है, मेनोपॉज के बाद बढ़ जाता है हार्ट अटैक का खतरा, महिलाओं में साइलेंट किलर की तरह आते हैं लक्षण

Publish: Sep 29, 2021, 10:37 AM IST

Photo Courtesy: united regional
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दिल, जिसके बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती, महज 450 ग्राम का दिल ना जाने कितनी खुशियां और गम अपने आप में समेटे रहता है। जब हम खुश होते हैं तो यह भी आऱाम से धड़कता है। इसकी भी खुशी का ठिकाना नहीं रहता। लेकिन इसके विपरीत अगर हम दुखी होते हैं तो यह भी परेशान हो उठता है, जो की आगे चलकर कई बीमारियों की वजह बनता है। दिल की बीमारी के प्रमुख कारणों में तनाव, डायबिटीज,  हाई ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्राल लेवल का बढ़ना, मोटापा, स्मोकिंग है। वहीं अगर आप एक्टिव नहीं हैं, सिटिंग ज्यादा है और एक्सरसाइज नहीं करते हैं तो यह भी दिल की बीमारी का कारण बन सकता है।

पहले माना जाता था कि महिलाओं की तुलना में पुरुषों को हार्ट अटैक और स्ट्रोक का ज्यादा जोखिम होता है। लेकिन अब नई रिसर्च में पाया गया है कि महिलाओं में पुरुषों की अपेक्षा दिल की बीमारियों का खतरा ज्यादा होता है। एक अमेरिकी रिसर्च में दावा किया गया है कि महिलाओं और पुरुषों के दिलों की बनावट थोड़ी अलग-अलग होती है। जिसकी वजह से महिलाओं में हार्ट की बीमारी का खतरा बढ़ जाता है।

मेनोपॉज के बाद बढ़ता है हार्ट अटैक का खतरा

महिलाओं में कई तरह की बीमारियों का खतरा रहता है जैसे एंडोमेट्रियोसिस, पॉलीसिस्टिक ओवरी डिसीज (PCOD) और प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाली डायबिटीज और हाईबीपी। वहीं इन बीमारियों के अलावा हाई कोलेस्ट्रॉल, मोटापा और धूम्रपान की वजह से भी दिल की सेहत खराब हो सकती है। 40-45 साल की उम्र तक एस्ट्रोजन हार्मोन महिलाओं के दिल का ख्याल रखता है। यह हार्मोन मासिक धर्म याने पीरियड्स को कंट्रोल करता है। जिसकी वजह से मेनोपॉज होने से पहले तक महिलाओं में हार्ट की बीमारी का खतरा नहीं रहता है। मेनोपॉज तक महिलाएं हार्ट अटैक से सुरक्षित रहती हैं। लेकिन महावारी बंद होने के बाद एस्ट्रोजन हार्मोन का लेवल कम होता जाता है। जिसके कारण महिलाओं में हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है। औसतन महिलाओं में 70 और पुरुषों में 66 वर्ष की उम्र में दिल का दौरा पड़ने का खतरा होता है।

मेल-फीमेल में अलग होते हैं हार्ट अटैक के लक्षण 

ब्रिटिश हार्ट फाउंडेशन की एक रिपोर्ट की मानें तो महिला और पुरुषों में हार्ट अटैक के लक्षण अलग-अलग होते हैं। पुरुषों के सीने में दर्द और जकड़न महसूस होता है। वहीं महिलाओं को दिल का दौरा पड़ने से पहले तीन या चार हफ्ते पहले सूक्ष्म लक्षण दिखाई देने लगते हैं, जैसे असामान्य थकान, सांसों फूलना, ठंड़ा पसीना आना, हल्का सिरदर्द बने रहना, महिलाओं की गर्दन के साथ ही पीठ या जबड़े में दर्द होना। इन लक्षणों को अक्सर नजर अंदाज कर दिया जाता है। या फिर इनका घरेलू इलाज किया जाता है, अगर इन इशारों को सही वक्त पर समझ लिया जाए तो हार्ट अटैक के खतरे को कम किया जा सकता है। वहीं तनाव, थकान और पूरी नींद के माध्यम से इस खतरे को कम किया जा सकता है। रोजाना कम से कम 7 से 8 घंटे की नींद आवश्यक है।

दिनचर्या में बदलाव से दिल होगा सुरक्षित

आप अपनी लाइफ स्टाइल में बदलाव करके हार्ट अटैक को रोक सकते हैं। खाने में तला भुना औऱ हाई कैलोरी खाने से परहेज करें, उसकी जगह लो कैलोरी खाना खाएं। खाने में चीनी और नमक की मात्रा कम ही रखें। नियमित व्यायाम करें, फाइबर युक्त दलिया, साबुत अनाज, मल्टीग्रेन आटा, हरी सब्जियां, बींस, सोया प्रोडक्ट्स का सेवन करें। नियमित व्यायाम, पर्याप्त नींद, तनाव नहीं लेना, रोजाना कम से कम हजार से ज्यादा कदम चलना जैसे छोटे-छोटे प्रयास से दिल को लंबे समय तक तंदुरुस्त रखा जा सकता है। टीवी, मोबाइल, कंप्यूटर के उपयोग का समय भी तय करें यह भी काफी हद तक सेहत खराब करने का काम करता है।

कमर का साइज करें कम, लाइफ लाइन होगी लंबी

दिल की सेहत के नजरिए से फिट उस व्यक्ति को कहा जाएगा जिसका बेली फैट कम हो। इसे घर पर जांचने के लिए आप सीधे खड़े हो जाएं और फिर अपने बिना झुके बेल्ट का बक्कल देखने की कोशिश करें। अगर आप इस टेस्ट में पास होते हैं तो आप खतरे से बाहर हैं। लेकिन अगर आपका पेट बड़ा है, बॉडी नाशपाती के आकार की है याने पियर शेप है तो आपको दिल की बीमारी का खतरा हो सकता है।

 हफ्ते में 6 दिन वर्कआउट से सेहतमंद रहेगा दिल

अपने डेली रुटीन में स्विमिंग, साइक्लिंग, वाकिंग, रनिंग को शामिल करें, रोजाना टहलें, अगर इसमें भी परेशानी हो तो अपना मनपंसद संगीत लगाकर कम से कम आधा घंटा डांस करें। ऐसा करने से आपका दिल और दिमाग दोनों की सेहत अच्छी रहेगी। एक्सपर्ट्स की मानें तो दिल को सेहतमंद रखने के लिए हफ्ते में 6 दिन कम से कम 30-45 मिनट का वर्कआउट पर्याप्त है। 29 सितंबर को दुनियाभर में विश्व हृदय दिवस मनाया जाता है, इसका मुख्य उद्देश्य लोगों को दिल से जुड़ी बिमारियों के प्रति जागरुक करना है।