वॉशिंगटन डीसी। सारी दुनिया में लोकतंत्र की हिमायत करने वाले अमेरिका में लोकतंत्र पर ऐसा हमला हुआ, जिसकी कभी किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी। राष्ट्रपति चुनाव हारने के बावजूद अपनी पराजय क़बूल न करने वाले डोनाल्ड ट्रंप के समर्थकों ने अमेरिकी संसद कैपिटल हिल पर हमला कर दिया। वहाँ उस वक़्त ट्रंप की हार का एलान करने वाले चुनावी नतीजों पर संसद की मुहर लगाने के लिए चर्चा हो रही थी। अमेरिकी संसद के परिसर में हुई हिंसा में मारे गए लोगों की संख्या अब तक बढ़कर चार पर पहुंच गई है। हिंसा में एक महिला के मारे जाने की खबर पहले ही आ चुकी थी। पुलिस ने हिंसा के सिलसिले में अब तक 52 उपद्रवियों को गिरफ्तार कर लिया है।

वॉशिंगटन डीसी में 21 जनवरी तक इमरजेंसी घोषित

वॉशिंगटन डीसी के मेयर ने संसद पर हमले के बाद पूरे शहर में पंद्रह दिन के लिए इमरजेंसी घोषित कर दी है। वॉशिंगटन में कर्फ्यू का एलान तो पहले ही कर दिया गया था। लेकिन हालात की समीक्षा के बाद मेयर म्युरिएल बाउसर ने 21 जनवरी तक के लिए पूरे वॉशिंगटन डीसी में पब्लिक इमरजेंसी का एलान कर दिया है। 

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अमेरिकी संसद पर हमले की शर्मनाक घटना उस वक्त हुई जब ट्रंप ने राष्ट्रपति भवन के पास जमा अपने हज़ारों समर्थकों को संसद पर हमला करने के लिए उकसाया। जिसके बाद उन्माद में बौराए ट्रंप समर्थकों ने अपने ही देश में लोकतंत्र का प्रतीक समझी जाने वाली कैपिटल हिल की सफ़ेद गुंबद वाली ऐतिहासिक इमारत पर हमला कर दिया। काफी देर तक अमेरिकी संसद की इमारत एक तरह से उपद्रवियों के कब्ज़े में रही। वे पूरी इमारत और उसके तमाम कमरों में मनमाने तरीके से घूमते रहे। यहां तक तक कि संसद का मुख्य हॉल भी उनके कब्ज़े में चला गया था। 

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अमेरिकी संसद पर ट्रंप समर्थकों का यह हमला उस वक्त हुआ, जब भीतर तमाम अमेरिकी सांसद जो बाइडेन को अमेरिका का नया राष्ट्रपति घोषित करने वाली चुनाव प्रक्रिया पर संसद की मुहर लगाने की औपचारिकता पूरी करने में लगे थे। दुनिया के सबसे ताकतवर लोकतंत्र में सत्ता हस्तांतरण से जुड़ी इस ज़रूरी प्रक्रिया के पूरा होने से पहले ही उपद्रवी भीतर घुस आए, जिसके चलते वहां कामकाज काफी देर के लिए रोकना पड़ा। 

दीवार फाँदकर अंदर घुसे ट्रंप समर्थकों ने वहाँ जमकर उत्पात मचाया। इस हिंसा के दौरान एक महिला को गोली भी लगी, जिसकी कुछ ही देर बाद इलाज़ के दौरान मौत हो गई। ट्रंप समर्थकों के अचानक से संसद में घुसने पर सुरक्षाकर्मी सांसदों को सेना के कैंप में ले गए। संसद भवन के भीतर से आईडी के जैसा एक विस्‍फोटक भी बरामद हुआ है।

ट्रंप समर्थकों के फसाद की वजह से संसद का कामकाज रोकना पड़ा। सुरक्षा बलों के जवान सांसदों को सुरक्षा के लिए सेना के कैंप में ले गए। काफ़ी देर की मशक़्क़त के बाद सुरक्षा बल आख़िरकार अमेरिकी संसद को फिर से सुरक्षित करने सफ़ल रहे। संसद भवन के अंदर बड़े पैमाने पर सुरक्षा बल तैनात किए गए, जिसके बाद अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में जनता के फ़ैसले पर संसद की मुहर लगाने की प्रक्रिया फिर से बहाल हो सकी।

अमेरिकी संसद को भले ही फिर से सुरक्षित करने में सफलता मिल गई हो, लेकिन इस घटना ने अमेरिकी लोकतंत्र की प्रतिष्ठा को जो ठेस पहुँचाई है, उसकी भरपाई करना आसान नहीं है। ट्रंप समर्थकों ने जो किया उससे सारी दुनिया में उनके अपने ही लोकतंत्र पर चोट की है। ट्रंप के विरोधियों ने इसे गृहयुद्ध छेड़ने की कोशिश करार दिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के उकसाने पर हुए इस फ़साद की सारी दुनिया में कड़ी निंदा हो रही है। भारत समेत दुनिया के तमाम प्रमुख देशों ने अमेरिकी लोकतंत्र पर हुए इस हमले की निंदा करते हुए वहाँ सत्ता हस्तांतरण की प्रक्रिया को शांतिपूर्ण ढंग से आगे बढ़ाए जाने की अपील की है।