दावोस। ऑक्सफैम इंटरनेशनल की हालिया प्रकाशित रिपोर्ट Profiting from Pain में दावा किया गया है कि विश्व में कोरोना महामारी के दौरान 573 व्यक्ति नए अरबपति बने, वहीं दूसरी ओर इसी समय में 26.3 करोड़ लोग अति गरीबी में धकेल दिए गए। यह दावा ऑक्सफैम इंटरनेशन द्वारा दावोस में आयोजित वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की वार्षिक बैठक में किया गया।इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पिछले दशक की तुलना में कोरोना महामारी के समय आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में तेजी से इजाफा हुआ है जिससे विश्व की एक बड़ी आबादी के सामने खाद्य संकट खड़ा हो गया है।ऑक्सफैम इंटरनेशनल ने कहा कि हमें उम्मीद हैं कि इस वर्ष हर 33 घंटे में 10 लाख लोगों की दर से 26.3 करोड़ लोग अति गरीबी में धकेल दिए जाएंगे वहीं कोविड 19 के शुरुआती 2 वर्षों में अरबपतियों की संपत्ति में वृद्धि पिछले 23 वर्षों में हुई कुल वृद्धि से ज्यादा है।विश्व में अरबपतियों की संपत्ति वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का 13.9% है जो कि वर्ष 2000 में 4.4% थीl

ऑक्सफैम ने आगे कहा कि महामारी ने 40 नए फार्मा अरबपति बनाए हैं और रिपोर्ट में फार्मास्यूटिकल कंपनियों पर आरोप लगाया है कि मोडर्ना और फाइजर जैसे फार्मास्युटिकल कंपनियां COVID-19 वैक्सीन के अपने एकाधिकार नियंत्रण से हर सेकंड 1,000 डॉलर का लाभ कमा रहे हैं, जबकि सरकारों ने वैक्सीन के विकास के लिए जनता के अरबों डॉलर पैसों का आर्थिक सहयोग के रूप में दिया था।

सरकारों को बढ़ती खाद्य एवं ऊर्जा लागतों का सामना करने वाले लोगों के लिए अरबपतियों की संपत्तियों पर कर लगाना चाहिए।क्या सरकारें अंततः अरबपतियों की संपत्तियों पर कर लगाएंगी।वहीं इसी समय में भारत में जहां एक ओर 84 फीसदी परिवारों की आय घटी है, वहीं अरबपतियों की संख्या 102 से बढ़कर 142 हो गई। ऑक्सफैम इंडिया ने बताया कि पिछले 4 साल में केंद्र सरकार के राजस्व में अप्रत्यक्ष कर की भागीदारी बढ़ी है जबकि कॉर्पोरेट टैक्स में कमी आई है, ईंधन पर लगने वाले कर में 33% की वृद्धि देखी गई है जबकि 2016 में केंद्र सरकार ने बहुत अमीर लोगों के लिए संपत्ति कर खत्म कर दिया था।