वॉशिंगटन। नासा के पर्सिवरेंस रोवर ने मंगल ग्रह पर एक ऐसी चट्टान का नमूना खोजा है जिसने वैज्ञानिकों के बीच हलचल मचा दी है। साइंटिस्ट ने इस नमूने का नाम सैफायर कैन्यन रखा है। इस नमूने में बायोसिग्नेचर के सूबूत मिलें हैं। ये जीवन संबंधी चीजों से जुड़ी हो सकती हैं। वैज्ञानिकों द्वारा किया गया ये खोज अब तक का मंगल पर जीवन के संकेतों से जुड़ा सबसे मजबूत सुराग माना जा रहा है।
कहां और क्या मिला?
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा द्वारा खोजा गया यह नमूना मंगल के जेजेरो क्रेटर में ब्राइट एंजल क्षेत्र में मौजूद एक चट्टान से लिया गया है। वैज्ञानिकों ने इस चट्टान को चेयावा फॉल्स नाम दिया है। साइंटिस्टों ने इस चट्टान की खोज एक प्राचीन नदी घाटी नेरेटवा वालिस में की। वैज्ञानिकों का मानना है कि मंगल गृह का यह इलाका अरबों साल पहले पानी से भरपूर रहा होगा।
वैज्ञानिकों को इस चट्टान पर धब्बे भी देखने को मिले हैं जिसे उन्होंने लीपर्ड स्पॉट्स और पॉपी सीड्स नाम दिया है। नासा के पर्सिवरेंस रोवर में लगे PIXL और SHERLOC उपकरणों ने इन धब्बों में विवियनाइट (आयरन फस्फेट) और ग्रीगाइट (आयरन सल्फाइड) जैसे विशेष खनिज पाए हैं। बता दें कि ये खनिज दलदल और झील वाले इलाकों में सूक्ष्मजीवों की गतिविधियों से बनते हैं। हालांकि, वैज्ञानिकों का ये भी मानना है कि ये खनिज बिना जीव के रासायनिक प्रक्रियाओं से भी बने हो सकते हैं।
अभी क्या तय नहीं है?
वैज्ञानिकों ने साफ कहा है कि यह खोज जीवन की पुष्टि नहीं करती, बल्कि संभावित बायोसिग्नेचर यानी जीवन के संकेत हो सकते हैं। इन खनिजों और संरचनाओं के पीछे पूरी तरह से रासायनिक प्रक्रियाएं भी जिम्मेदार हो सकती हैं। असली रहस्य तभी सुलझेगा जब ये नमूने पृथ्वी पर लाए जाएंगे और उन्नत प्रयोगशालाओं में जांचे जाएंगे।
क्यों है बड़ी खोज?
अगर यह साबित हो जाता है कि मंगल पर कभी सूक्ष्मजीव रहे थे, तो यह अंतरिक्ष विज्ञान में ऐतिहासिक खोज होगी। यह न केवल मंगल के जल-इतिहास को बेहतर समझने में मदद करेगा बल्कि इस संभावना को भी मजबूत करेगा कि ब्रह्मांड में और भी जगह जीवन हो सकता है। हालांकि, वैज्ञानिकों का ये भी कहना है कि इन खनिजों के वहां होने में सायनिक प्रक्रियाएं भी जिम्मेदार हो सकती हैं।