नई दिल्ली। आतंकी संगठन तालिबान को पाकिस्तान की तरफ से वित्तीय और सैन्य सहायता मुहैया कराए जाने के दावों और आरोपों के बीच पाकिस्तानी पीएम इमरान ख़ान ने कहा है कि उनकी सरकार तालिबान की प्रवक्ता नहीं है। इमरान ख़ान ने यह बात एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान तालिबान से जुड़ा सवाल पूछे जाने के जवाब में कही। अफ़गानी मीडीया प्रतिनिधीयों के समूह ने जब पाकिस्तानी पीएम से सवाल किया तब इमरान ख़ान ने भड़कते हुए कहा कि हम तालिबान के प्रवक्ता नहीं हैं। इमरान ख़ान ने कहा कि पाकिस्तान में लाखों की संख्या में अफ़गानी शरणार्थी रहते हैं, ऐसे में यह आरोप बेबुनियाद हैं कि पाकिस्तान अफ़गानिस्तान में अमन नहीं चाहता।

इमरान ने कहा कि अफ़गानिस्तान में तालिबान जो कुछ भी कर रहा है उससे पाकिस्तान का न तो कोई वास्ता है और न ही हम तालिबान के प्रवक्ता हैं। इमरान ने कहा कि पाकिस्तान में तीस लाख से अधिक शरणार्थी अपना गुज़र बसर कर रहे हैं, ऐसे में यह कहना कि पाकिस्तान अफ़गानिस्तान में शांति नहीं चाहता वो सही नहीं है। इमरान ने यह भी कहा कि रोज़ाना तीस हज़ार लोग पाकिस्तान से अफ़गानिस्तान जाते हैं ऐसे में हम यह कैसे पता लगा सकते हैं कि कौन वहां लड़ने जा रहे हैं? 

इमरान ने कहा कि तालिबान के लोग किसी यूनिफॉर्म में नहीं रहते। पाकिस्तान के शरणार्थियों के शिविर में कुछ में पांच लाख शरणार्थी रहते हैं, कुछ में एक लाख रहते हैं। ऐसे में पाकिस्तान इस बात का कैसे पता लगा पाएगा कि इन शिविरों में रहने वाले कौन से लोग तालिबान समर्थक हैं। इमरान खान ने कहा कि पाकिस्तान अफ़गानिस्तान में पूरी तरह से अमन स्थापित करने का पक्षधर है। इमरान ने अफ़गानिस्तान की मौजूदा परिस्थितियों को लेकर कहा कि अफ़गानियों के सामने दो विकल्प थे। या तो वे अमेरिका समर्थित सैन्य समाधान में रहते या फिर राजनीतिक समझौते के तहत समावेशी सरकार को अपने देश में स्थापित करते। इमरान ने कहा कि व्यक्तिगत तौर पर मुझे यही लगता है कि अफ़गानियों के लिए राजनीतिक समझौता ही हितकारी है।  

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दरअसल अफ़गानी सरकार के आरोपों के मुताबिक पाकिस्तान तालिबान को आर्थिक तथा सैनिक सहायता मुहैया करा रहा है। अफ़गानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ ग़नी खुद कई मर्तबा पाकिस्तान पर तालिबान को सहायता करने के आरोप लगा चुके हैं। वहीं दूसरी तरफ इमरान ख़ान भी लगातार इन सभी आरोपों को नकारते आ रहे हैं। इमरान खान ने इसी महीने उज्बेकिस्तान में हुए एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान यह बात कही थी कि तालिबान से खूद पाकिस्तान भी प्रभावित रहा है। पाकिस्तान के 70 हज़ार से ज़यादा लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है।