नई दिल्ली। पाकिस्तान की एक शीर्ष अदालत ने मौत की सजा पाए भारतीय कैदी कुलभूषण जाधव के लिए एक कानूनी प्रतिनिधि की नियुक्त करने से जुड़ी सरकार की याचिका पर सुनवाई के लिए सात अगस्त को तीन सदस्यीय पीठ का गठन किया है। इससे पहले तीन अगस्त को मुख्य न्यायाधीश अतहर मिनल्लाह की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय पीठ ने इस मामले की सुनवाई के लिए वृहद पीठ के गठन का आदेश दिया था, जिसके बाद इस्लामाबाद हाई कोर्ट की तरफ से यह निर्णय लिया गया।

अदालत में तीन अगस्त को जाधव के लिए वकील नियुक्त करने के संबंध में पाकिस्तान सरकार की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई हुई थी।

जाधव मामले में ''अदालत मित्र'' के तौर पर तीन वरिष्ठ वकीलों का नाम भी सुझाया गया था क्योंकि अदालत ने पाकिस्तान सरकार को आदेश दिया था कि वह मौत की सजा पाए कैदी के लिए एक वकील नियुक्त करने का ''एक और मौका'' भारत को दे। हालांकि, यह शर्त भी रखी गई थी कि नियुक्त वकील पाकिस्तान का नागरिक होना चाहिए।

नयी पीठ में मुख्य न्यायाधीश अतहर मिनल्लाह, न्यामूर्ति आमिर फारूक और न्यायमूर्ति मियांगुल हसन औरंगजेब शामिल हैं। मामले में अगली सुनवाई तीन सिंतबर के लिए सूचीबद्ध है।

पाकिस्तान सरकार ने 22 जुलाई को कुलभूषण जाधव के लिए वकील नियुक्त करने के लिए इस्लामाबाद हाई कोर्ट में याचिका डाली थी। पाकिस्तान सरकार ने यह कदम अंतरराष्ट्रीय कोर्ट के फैसले के फालन के रूप में उठाया था। वहीं पाकिस्तान ने 17 जुलाई को तीसरी बार कुलभूषण जाधव को काउंसुलर एक्सेस देने का प्रस्ताव दिया था। भारत ने इन सभी कदमों को दिखावा बताया था। पाकिस्तान कुलभूषण जाधव को भारतीय जासूस मानता है। वहीं भारत का कहना है कि जाधव भारतीय नौसेना के पूर्व कमांडर हैं और रिटायर होने के बाद ईरान में व्यापार कर रहे थे, जहां से उन्हें अगवा कर लिया गया।