वॉशिंगटन डीसी। अमेरिका के चुनाव हार चुके राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का साथ अब उनके उप राष्ट्रपति माइक पेंस ने भी छोड़ दिया है। चार साल तक ट्रंप के  सबसे करीबी और भरोसेमंद सहयोगी रहे माइक पेंस ने ट्रंप से दो टूक कह दिया है कि अमेरिकी जनता ने चुनाव के ज़रिए जो फ़ैसला सुनाया है, उसे असंवैधानिक तरीक़े से उलटने का काम वे नहीं करेंगे। ट्रंप चाहते थे कि माइक पेंस अमेरिकी संसद के साझा सत्र में जो बाइडेन की जगह उन्हें राष्ट्रपति चुनाव का विजेता घोषित कर दें। लेकिन पेंस ने संविधान की शपथ का हवाला देते हुए ऐसा करने से इनकार कर दिया। 

माइक पेंस के इनकार से भड़के डोनाल्ड ट्रंप

ओक्लाहोमा के रिपब्लिकन सीनेटर जिन इन्होफे ने कहा बताया कि पेंस के दो टूक जवाब से भड़के ट्रंप ने उप राष्ट्रपति‌ को जमकर खरी-खोटी सुनाई है, जिससे वे बेहद दुखी और निराश हैं। सीनेटर इन्होफे भी पेंस के बारे में ट्रंप की टिप्पणियों को अफ़सोसनाक बताया है। पेंस ने देश के सांसदों के नाम लिखे अपने पत्र में सार्वजनिक तौर पर ट्रंप के रुख़ से ख़ुद को अलग करते हुए एलान कर दिया कि वे चुनाव के नतीजों को कूड़ेदान में फेंकने की ट्रंप के दबाव के आगे नहीं झुक सकते।

ट्रंप के दबाव से परेशान पेंस ने कहा, ईश्वर मेरी मदद करो

सांसदों के नाम अपने पत्र में पेंस ने साफ़-साफ़ लिखा है कि राष्ट्रपति चुनाव पर मनमाना फ़ैसला सुनाने का एकाधिकार उनके पास नहीं है। उन्होंने पत्र में लिखा है, “मैं पूरे सोच विचार के बाद इस फ़ैसले पर पहुँचा हूँ संविधान के पालन और उसकी रक्षा करने की शपथ मुझे ऐसे किसी एकाधिकार का दावा करने की इजाज़त नहीं देती, जिसके तहत में यह फ़ैसला करूँ कि कौन सा इलेक्टोरल वोट गिना जाएगा और कौन सा नहीं।” ट्रंप के बार-बार दबाव डालने से परेशान पेंस ने अपने पत्र के अंत में लिखा है, “ईश्वर मेरी मदद करो।”

पेंस ने अमेरिकी संसद के दोनों सदनों की साझा बैठक की अध्यक्षता करने से पहले ट्रंप से अलग अपने इस रुख़ का खुलासा कर दिया था। संसद के इसी साझा सत्र में राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों की पुष्टि की जा रही थी कि तभी ट्रंप के समर्थकों ने संसद पर हमला कर दिया। जिसके बाद पेंस समेत तमाम सांसदों को वहाँ से सुरक्षित बाहर निकालना पड़ा।

संसद में हिंसा के दौरान भी पेंस पर हमला करते रहे ट्रंप

इस पूरे फ़साद के दौरान भी डोनाल्ड ट्रंप लगातार ट्विटर के ज़रिए माइक पेंस पर हमला करते रहे। ट्रंप ने लिखा, “माइक पेंस वो कदम उठाने का साहस नहीं दिखा सके, जो हमारे देश और संविधान को बचाने के लिए ज़रूरी था।” ट्रंप ने अपने इस ट्वीट में संसद पर हमला कर रहे अपने समर्थकों से शांत रहने की अपील तो की, लेकिन हिंसा की निंदा नहीं की।

ट्रंप के उलट माइक पेंस ने संसद से सुरक्षित बाहर निकाले जाने के बाद किए गए ट्वीट में हिंसा की सख्ती से आलोचना की। उप राष्ट्रपति ने लिखा, अमेरिकी संसद में हो रही हिंसा और विनाश तत्काल रुकना चाहिए। यह सब हर हाल में फ़ौरन बंद होना चाहिए। इस हंगामे में शामिल लोगों को क़ानून की रक्षा में तैनात अधिकारियों का सम्मान करते हुए फ़ौरन बिल्डिंग को ख़ाली कर देना चाहिए।

इससे पहले ट्रंप ने अपने समर्थकों की रैली में कहा था, “मुझे उम्मीद है कि माइक पेंस सही कदम उठाएँगे। अगर वे ऐसा करते हैं तो हम चुनाव जीत जाएंगे। अगर वे ऐसा नहीं करते तो यह हमारे देश के लिए एक दुख भरा दिन होगा। ट्रंप ने यह उम्मीद भी जाहिर की थी कि उप राष्ट्रपति “मूर्ख लोगों” को नज़रअंदाज़ कर देंगे और उनसे जैसा कहा गया है वैसा ही करेंगे।

अमेरिकी मीडिया के मुताबिक़ पेंस ने पिछले कुछ अरसे में ट्रंप को यह बात बार-बार समझाने की कोशिश  की थी कि वे संविधान के तहत ऐसा नहीं कर सकते, लेकिन ट्रंप उनकी बात समझने को तैयार ही नहीं हुए। जैसा कि अपने समर्थकों के बीच दिए ट्रंप के भाषण से साफ़ है, वे लगातार इसी बात पर ज़ोर देते रहे कि माइक पेंस  जो बाइडेन के पक्ष में दिए गए इलेक्टोरल वोट्स को खारिज़ कर दें और उन्हें चुनाव का विजेता घोषित कर दें।  पेंस के इनकार करने के बावजूद ट्रंप यही कहते रहे कि उन्हें इलेक्टोरल वोट्स को प्रमाणित करने वाले राज्यों के सर्टिफिकेशन को ख़ारिज करने का अधिकार है और उन्हें ऐसा ही करना चाहिए। संसद के साझा सत्र से पहले ट्रंप ने ट्विटर पर लिखा था, “ऐसा ही करो माइक, यह हिम्मत दिखाने का वक़्त है।”

लेकिन जैसा कि बाद में सामने आया, पेंस ने संसद के साझा सत्र की अध्यक्षता के दौरान ट्रंप के ख़िलाफ़ जाने वाले इलेक्टोरल वोट्स को ख़ारिज करके उन्हें जबरन जीत दिलाने का काम नहीं किया। दरअसल अमेरिकी संविधान के मुताबिक़ संसद के इस साझा सत्र में उपराष्ट्रपति की भूमिका महज़ एक औपचारिकता निभाने की है। उन्हें सिर्फ़ इलेक्टोरल वोट्स के लिफ़ाफ़े खोलकर गणना करने वाले अधिकारियों को सौंपने होते हैं और मतगणना के अंत में विजेता के नाम का औपचारिक एलान करना होता है। इलेक्टोरल कॉलेज के इन वोट्स को ख़ारिज करने का उन्हें कोई अधिकार नहीं है।