कोरोना वैक्सीन की दौड़ में सबसे आगे चल रहे ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के टीके के ट्रायल रिजल्ट मशहूर मेडिकल साइंस जर्नल लैंसेट में 21 जुलाई को प्रकाशित होंगे। जर्नल के संपादक रिचर्ड हॉर्टन ने ट्वीट कर यह जानकारी दी है। विभिन्न रिपोर्ट्स के अनुसार इस संभावित वैक्सीन के शुरुआती चरण के ट्रायल में पता चला है कि यह कोरोना वायरस के खिलाफ ‘‘दोहरी सुरक्षा’’ उपब्लध करा सकता है। इसके बाद इसके रिसर्च के सफल होने की संभावना बहुत बढ़ गई है। कहा जा रहा है कि अगले दो से तीन महीनों के भीतर ये टीका प्रयोग के लिए उपलब्ध होगा। 

'द डेली टेलीग्राफ’ ने परीक्षण टीम से जुड़े एक सूत्र के हवाले से बताया कि ब्रिटिश स्वयंसेवकों के एक समूह से खून के नमूने लिए जाने के बाद उन पर टीके का परीक्षण किया गया, जिसमें यह पता चला कि इसने शरीर को एंटीबॉडी और खात्मा करने वाले ‘टी-सेल’ बनाने के लिये प्रेरित किया। यह खोज काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि अलग-अलग अध्ययनों में यह सामने आया है कि एंटीबॉडी कुछ ही महीनों में खत्म हो सकती है, जबकि ‘टी-सेल’ कई साल तक बने रह सकते हैं।

हालांकि, इस बात को लेकर भी आगाह किया कि ये नतीजे बहुत ज्यादा उम्मीद जगाते हैं लेकिन अभी तक यह साबित नहीं हुआ है कि ऑक्सफोर्ड का टीका कोविड-19 के खिलाफ लंबे समय के लिये प्रतिरक्षा उपलब्ध कराता है या नहीं।

'द डेली टेलीग्राफ’ के मुताबिक एक सूत्र ने कहा, ‘‘मैं आपसे कह सकता हूं कि हम अब जानते हैं कि ऑक्सफोर्ड के टीके में दोनों आधार हैं--यह शरीर में टी-सेल और एंटीबॉडी, दोनों उत्पन्न करता है। इन दोनों का साथ में होना लोगों को सुरक्षित रखने की उम्मीद जगाता है। यह एक अहम क्षण है। लेकिन हमें अभी लंबा सफर तय करना है।’’

बर्कशायर रिसर्च एथिक्स कमेटी के अध्यक्ष डेविड कारपेंटर ने कहा कि टीके पर काम कर रही टीम ‘‘बिल्कुल सही दिशा में आगे बढ़ रही है।’’ उन्होंने ही ऑक्सफोर्ड के परीक्षण को मंजूरी दी थी।

उन्होंने कहा,‘‘कोई भी इसके लिये अंतिम तारीख नहीं तय कर सकता...चीजें गलत दिशा में जा सकती हैं लेकिन यह हकीकत है कि एक बड़ी औषधि कंपनी के साथ काम करने से टीका सितंबर तक व्यापक रूप से उपलब्ध हो सकेगा और वे इसी लक्ष्य के साथ काम कर रहे हैं। ’’

विश्वविद्यालय के जेनर संस्थान द्वारा टीका विकसित किये जाने के कार्य में ब्रिटिश सरकार और औषधि कंपनी एस्ट्राजेनेका सहयोग कर रही है। दुनियाभर में कोरोना से 1.3 करोड़ से ज्यादा लोग संक्रमित हैं जबकि कम से कम 5.82 लाख लोगों की मौत हो चुकी है।