स्टॉकहोम। स्वीडन की रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज की ओर से इस साल केमेस्ट्री का नोबेल पुरस्कार जापान के सुसुमु कितागावा, ऑस्ट्रेलिया के रिचर्ड रॉबसन और अमेरिका के ओमर एम. यागी को दिया गया है। स्वीडन की रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज ने बुधवार को इसका ऐलान किया। इन तीनों वैज्ञानिकों को मेटल-ऑर्गेनिक फ्रेमवर्क्स (MOFs) के विकास के लिए सम्मानित किया गया, जो केमेस्ट्री और मेटेरियल साइंस दोनों में नई संभावनाओं का दरवाजा खोलते हैं। विजेताओं को 11 मिलियन स्वीडिश क्रोना (करीब 10.3 करोड़ रुपए), सोने का मेडल और सर्टिफिकेट मिलेगा, जिसे तीनों के बीच बांटा जाएगा। पुरस्कार समारोह 10 दिसंबर को आयोजित किया जाएगा।
MOFs ऐसे क्रिस्टलीय पदार्थ हैं जो धातु आयनों और कार्बनिक मॉलेक्यूल से बने होते हैं और इनकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें पोर्स यानी छेद जैसी संरचना होती है। इन छेद के कारण गैस, पानी और अन्य केमीकल आसानी से अंदर-बाहर जा सकते हैं। MOFs का उपयोग रेगिस्तान की हवा से पानी, कार्बन डाइऑक्साइड और जहरीली गैसों को स्टोर करने, केमिकल रिएक्शन को तेज करने और दवाओं को तेजी से फैलाने में किया जा सकता है।
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रिचर्ड रॉबसन ने 1970 और 1980 के दशक में ऑस्ट्रेलिया में परमाणुओं के जोड़ने के पैटर्न पर काम किया था। उन्होंने तांबे के आयन और चार-हाथ वाले कार्बनिक मॉलेक्यूल को जोड़कर पहला मेटल-ऑर्गेनिक नेटवर्क बनाया था। इसमें क्रिस्टलीय संरचना के साथ खाली जगहें भी थीं। हालांकि, उनकी यह शुरुआती संरचना कमजोर थी, लेकिन इसने वैज्ञानिकों के बीच MOFs की अवधारणा को जन्म दिया।
सुसुमु कितागावा ने जापान के किंदाई विश्वविद्यालय में MOFs पर शोध किया था। उन्होंने 1997 में पहले स्थिर MOFs बनाए, जो सूखने के बाद भी टूटते नहीं थे और इससे गैस को सुरक्षित रूप से भरकर निकाला जा सकता था। उन्होंने यह भी दिखाया कि MOFs लचीले भी हो सकते हैं।
ओमर एम. यागी ने अमेरिका में MOFs के कस्टम डिजाइन और स्थिर वर्जन विकसित किए। उन्होंने 1995 में MOF शब्द का प्रयोग किया और 1999 में MOF-5 बनाया। MOF-5 का इनर सरफेस एरिया विशाल था। इसके सिर्फ कुछ ग्राम में एक फुटबॉल मैदान जितनी सतह समा सकती थी। यागी की टीम ने एरिजोना के रेगिस्तान में हवा से पानी इकट्ठा कर अपने प्रयोग को सफल साबित भी किया था। रात में MOF नमी सोखता और सुबह सूरज की गर्मी से पानी बनता।
आज MOFs का प्रयोग एनर्जी स्टोरेज, पॉल्यूशन कंट्रोल, गैस को अलग करने में, केमिकल रिएक्शन में और दवाओं को तेजी से फैलाने सहित कई क्षेत्रों में हो रहा है। ये छोटे मॉलेक्यूल लेकिन बड़े समाधान देने की क्षमता रखते हैं। उदाहरण के लिए, MOFs से रेगिस्तान में पानी बनाना, कार्बन डाइऑक्साइड रोकना, जहरीली गैस का सुरक्षित तरीके से स्टोर करना और हानिकारक केमिकल को साफ करना संभव है। इसके अलावा फल से निकलने वाली एथिलीन गैस को रोककर फल की ताजगी बढ़ाना और बैटरी जैसी तकनीक में भी MOFs का उपयोग किया जा सकता है।
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सुसुमु कितागावा, रिचर्ड रॉबसन और ओमर एम. यागी ने 1989 से लेकर 2003 तक MOFs के क्षेत्र में क्रांतिकारी खोज की थी। रॉबसन ने अवधारणा दी, कितागावा ने लचीले और स्थिर MOFs विकसित किए, और यागी ने उन्हें रेशनल डिजाइन के जरिए सुधारा। इन तीनों की खोज ने विज्ञान को नई दिशा दी और छोटे मॉलेक्यूल से बड़ी समस्याओं का समाधान करने की राह खोली।
नोबेल कमिटी के चेयरमैन हाइनर लिंके ने कहा कि MOFs की अनगिनत संभावनाएं हैं और ये नई तरह के कस्टम मटेरियल और कार्यक्षमताओं के लिए आधार बन सकते हैं। इस खोज ने दिखाया कि कैसे छोटे-छोटे मॉलेक्यूल बड़े समाधान दे सकते हैं और आने वाले समय में जल संकट, प्रदूषण और ऊर्जा की चुनौतियों में MOFs महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।