वाशिंगटन। कृषि कानूनों के खिलाफ भारत में जारी आंदोलन को दुनियाभर से समर्थन मिल रहा है। अब अमेरिका के तीन वरिष्ठ सांसदों ने किसानों के प्रदर्शन को दबाने की खबरों पर चिंता जाहिर की है। अमेरिकी सांसदों ने कहा है कि भारत में नागरिकों के कई समूहों के लोकतांत्रिक अधिकारों में कटौती चिंता की बात है। उन्होंने कहा है कि भारत में धार्मिक अल्पसंख्यकों और मानवाधिकार संगठनों के अधिकारों का भी हनन हो रहा है। अमेरिकी सांसदों ने भारत सरकार से कहा है कि एक लोकतांत्रिक देश होने के नाते नागरिकों के शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन के अधिकारों को दबाया नहीं जाना चाहिए।

अमेरिका के सांसद जॉन गारमेन्डी, जिम कोस्टा और शैला जैक्सन ली ने कहा कि इकट्ठा होने की स्वतंत्रता, प्रेस की स्वतंत्रता और नागरिक अधिकारों के प्रति सम्मान एक सफल लोकतंत्र की बड़ी खूबियां हैं। इस साल हम यह देखकर काफी चिंतित हैं कि भारत सरकार ने कई भारतीयों के इन अधिकारों को सीमित कर दिया। ये सिर्फ किसानों के साथ नहीं हुआ, बल्कि धार्मिक अल्पसंख्यकों और मानवाधिकार संगठनों के साथ भी हुआ है।

अमेरिका में भारतीय राजदूत तरणजीत सिंह संधू को लिखे पत्र में तीनों सांसदों ने कहा कि भारत में शांतिपूर्ण तरीके से किए जा रहे प्रदर्शन को दबाने की कोशिश की जा रही है। हम भारत सरकार द्वारा इन प्रदर्शनों पर दी गई प्रतिक्रिया से चिंतित हैं। भारत में स्थिति परेशान करने वाली है। तीनों सांसदों ने कहा कि शांति पूर्ण प्रदर्शन करने का अधिकार लोकतांत्रिक स्वतंत्रता की बुनियाद है और इसका संरक्षण होना चाहिए।

बता दें कि इससे पहले कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो भी भारत में हो रहे किसान आंदोलन का समर्थन कर चुके हैं। इसके अलावा ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन के सांसदों ने भी किसान आंदोलन का समर्थन करते हुए लोगों को शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने का अधिकार है देने की बात कही थी।