दमोह/भोपाल। कोरोना महामारी के बीच दमोह में उपचुनाव किया जाना महंगा पड़ गया। दमोह उपचुनाव में ड्यूटी करने वाले कुल 24 शिक्षकों का कोरोना के कारण निधन हो गया है। हालांकि इनमें से अब तक 17 लोगों की कोरोना के कारण मौत होने की पुष्टि हुई है। स्थानीय प्रशासन अन्य मृतकों की पहचान करने में जुटा हुआ है। 

दमोह कलेक्टर कृष्णा चैतन्य ने अंग्रेज़ी के एक प्रमुख अख़बार को बताया है कि अब तक उनके पास मुआवजे के लिए 24 ऐसे आवदेन आए हैं, जिनमें दमोह उपचुनाव में कोरोना से संक्रमित होने के बाद मरने वाले लोगों की जानकारी है। कलेक्टर के मुताबिक इनमें से अब तक 17 मृतकों की पहचान की गई है। अभी अन्य आवेदनों का सत्यापन किया जा रहा है। कलेक्टर का कहना है कि जिन 17 मतदान कर्मियों की मौत की पुष्टि हुई है, इनमें से 6 मतदान कर्मी ऐसे थे, जो मतदान की प्रक्रिया में सीधे तौर पर शामिल थे। जबकि बाकी मतदान से जुड़े अन्य कामों में शामिल थे। 

17 अप्रैल को दमोह विधानसभा सीट के लिए मतदान हुआ था। मतदान कर्मियों के अलावा बड़ी संख्या में राजनेताओं ने दमोह में प्रचार किया था। कई पत्रकार भी इस उपचुनाव को कवर करने गए दमोह गए हुए थे। प्रचार करने वाले अधिकतर नेता कोरोना से संक्रमित हो गए थे। कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह समेत बीजेपी और कांग्रेस के कई नेता कोरोना की चपेट में आ गए। यहां तक कि दमोह सीट से कांग्रेस उम्मीदवार अजय टंडन और दमोह कांग्रेस ज़िला अध्यक्ष मनु मिश्रा भी कोरोना से संक्रमित हो गए।

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मध्यप्रदेश महिला कांग्रेस की अध्यक्ष मांडवी चौहान और पूर्व मंत्री बृजेंद्र सिंह राठौर भी कोरोना की चपेट में आए। दोनों कांग्रेस नेताओं की कोरोना के कारण मौत हो गई। मांडवी चौहान को दमोह से लौटते समय बुखार हो गया था। वहीं बृजेंद्र सिंह राठौर 19 अप्रैल को कोरोना से संक्रमित हुए और 2 मई को उनका निधन हो गया। बृजेंद्र सिंह राठौर को कांग्रेस ने दमोह उपचुनाव का प्रभारी नियुक्त किया था। इसके अलावा दमोह उपचुनाव को कवर करने गए पत्रकार मनोज राजपूत भी कोरोना से संक्रमित हुए और ज़िन्दगी की जंग हार गए। 

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जिस समय दमोह में उपचुनाव का प्रचार जोरों शोरों पर था, उस दौरान मध्यप्रदेश के बाकी हिस्सों में कोरोना के कारण सख्ती बरती जा रही थी। लेकिन दमोह प्रदेश का इकलौता ऐसा ज़िला था जहां पर किसी तरह की पाबंदी नहीं लगाई गई। लेकिन जैसे ही दमोह उपचुनाव का मतदान समाप्त हुआ। उसके ठीक दो दिन बाद यानी 19 अप्रैल को दमोह में पाबंदी लगाना शुरू की गई। लेकिन तब तक कोरोना बहुत बड़े स्तर पर अपना कहर बरपा चुका था।