खंडवा। मध्य प्रदेश के खंडवा में इंदिरा सागर बांध के लिए अपनी जमीनों का बलिदान देने वाले ग्रामीण ही अब उसकी पीड़ा भोग रहे हैं। शासन-प्रशासन सबकुछ जानते हुए भी उनकी अनदेखी कर रहा है। बारिश में गांव पानी से घिर जाता है। बाहर निकलने का रास्ता ही नहीं बचता है। ऐसे ही परेशानियों से बांगरदा पंचायत का अमोदा गांव भी जूझ रहा है।



दरअसल, अमोदा गांव के एकमात्र रास्ते की पुलिया बैक वाटर में डूब चुकी है। अब स्कूली बच्चों के लिए स्कूल जाना सबसे बड़ी चुनौती है। उन्हें बैलगाड़ी के सहारे पुलिया पार करना पड़ रहा है। गहरे पानी के बीच इस बात का हमेशा डर बना रहता है कि कहीं कोई हादसा ना हो जाए। लेकिन शासन-प्रशासन सबकुछ जानते हुए भी अनदेखी कर रहा है।





बता दें कि इस सीजन में सामान्य से अधिक बारिश होने से बांध लगभग पूर्ण क्षमता से भरे हैं। बांध से लगे गांव लगभग जलमग्न हो चुके हैं। इन गांवों में से कुछ तो टापू बन गए हैं। बांगरदा के निवासी संजय मसीह ने बताया कि सबसे ज्यादा परेशानी स्कूली बच्चों को ही हो रही है। उन्हें बांगरदा स्कूल जाने के लिए बैलगाड़ी पर बैठकर पुलिया पार कराना पड़ रहा है। खेती बाड़ी होने के कारण लोग गांव भी नहीं छोड़ सकते।





हालांकि, डूब प्रभावित गांवों में नाव संचालन का नियम है, लेकिन एनएचडीसी बजट का अभाव बताकर पल्ला झाड़ रहा है। बांगरदा पंचायत सरपंच प्रतिनिधि राजू पटेल ने बताया कि हम प्रभावितों के साथ एनएचडीसी कार्यालय खंडवा गए थे, लेकिन अधिकारी मौजूद नहीं थे। जो अधिकारी मिले उनका कहना है कि विभाग के पास बजट नहीं है। इस वजह से नाव की व्यवस्था नहीं कर सकते। अब ग्रामीण की समस्या को लेकर जल्द ही कलेक्टर को ज्ञापन सौंपने वाले हैं।