कोरोना से मौत के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं और राज्‍य सरकारें बेहतर इलाज देने की जगह मौत पर सियासत कर रही हैं। दिल्ली के मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्लीवालों को ही उनके अस्पतालों में इलाज मिलेगा। दिल्ली सरकार ने गंगाराम अस्पताल के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज करवाई है। मगर दिल्‍ली निवासी वीरेंद्र नेकिया को दिल्‍ली में इलाज नहीं मिला। भाई ने उन्‍हें भोपाल बुलाया मगर यहां कोरोना से उनकी मृत्‍यु हो गई। अब मध्य प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कह रहे हैं कि दिल्ली-मुंबई की सरकारें सिर्फ बातें करती हैं, अगर सरकार काम कर रही होती तो इस प्रकार से मरीज को पांच दिन भटकना नहीं पड़ता, और उसकी मौत नहीं होती।

दिल्ली में मयूर विहार निवासी वीरेंद्र नेकिया को एक हफ्ते पहले बुखार आया था। उन्होंने संजीवनी क्लीनिक से दवाइयां लीं पर आराम नहीं मिला। पांच दिन अस्पतालों में भटके लेकिन किसी ने कोरोना टेस्ट नहीं कराया। लगातार हालत बिगड़ने के बाद उनके भाई ने वीरेंद्र ने उन्हे भोपाल बुला लिया।

ट्रेन से भोपाल आए थे कोरोना पॉजिटिव

भोपाल आने पर जेपी अस्पताल के स्टाफ ने सैंपल लेकर वीरेंद्र को हमीदिया अस्पताल भेज दिया। हमीदिया अस्पताल के डाक्टरों की मानें तो वीरेंद्र जब जेपी अस्पताल पहुंचे थे, तब उनके शरीर में ऑक्सीजन सेचुरेशन 35% था, जो की 95% होना चाहिए। हमीदिया अस्पताल में वेंटिलेटर पर रखने के बाद भी आक्सीजन लेवल 60% तक नहीं पहुंचा। शनिवार दोपहर करीब 3:30 बजे वीरेंद्र का कोरोना टेस्ट रिपोर्ट पॉजिटिव आई। और उन्हें आईसीयू में भर्ती किया गया। हमीदिया अस्पताल के अधीक्षक डाक्टर एके श्रीवास्तव के अनुसार वीरेंद्र को गंभीर हालत में लाया गया था। वेंटीलेटर सपोर्ट पर रखने के बाद भी उन्हे बचाया नहीं जा सका। और रविवार तड़के वीरेंद्र की मौत हो गई।

पत्नी की तबीयत बिगड़ी

मृतक वीरेंद्र के बेटे आदित्य का कहना है कि उनके पापा की मौत की खबर सुनकर दिल्ली में मां को अस्थमा का अटैक आ गया। जिसके बाद 15 साल की बहन उन्हें लाल बहादुर शास्त्री अस्पताल ले गई, लेकिन किसी ने हाथ नहीं लगाया। बेसुध मां डेढ़ घंटे ऑटो में पड़ी रही। फिर नोएडा के प्राइवेट हॉस्पिटल ले जाना पड़ा, पर वहां 60 हजार रु. जमा करने को कहा। मेडिकल कार्ड देने के बाद भी 20 हजार जमा कराए गए। अब मां अस्पताल में है, बहन घर में क्वारेंटाइन है।

दिल्ली के अस्पतालों में लापरवाही से एक परिवार पूरी तरह से बिखर गया, पहले तो वीरेंद्र को इलाज नहीं मिला और अब उनकी पत्नी को भी इलाज के लिए परेशान होना पड़ा। कोरोना का इलाज न दिल्‍ली में मिला न भोपाल में सुधार हो सका। आम आदमी पार्टी और भाजपा की सरकारें एक दूसरे पर दोष मढ़ रही हैं मगर सच यह है कि आम आदमी की जान जा रही है।