भोपाल। शहर के दो नामी गिरामी अस्पतालों से साइबर ठगी का मामला सामने आया है। जहां आरोपियों ने सैन्य अधिकारी बनकर अस्पतालों को लाखों का चूना लगाया है। ये शातिर साइबर ठग अस्पतालों में सीधे फोन लगाते हैं, कहते हैं कि वे शहर से बाहर हैं और उनके परिवार को कोरोना के साथ-साथ कुछ और जांचें करवानी हैं। जांच की शुरूआती रकम गूगल या फोनपे आदि से ऑनलाइन जमा करवाते हैं और जब अस्पताल कर्माचारी उनके भेजे लिंक पर क्लिक करता है, उनका ेकाउंट खाली हो जाता है।

ये शातिर अस्पताल में फोनकर परिजनों की जांच करने के लिए व्यवस्था करने को कहते हैं। अपराधी अस्पतालों की लैब को अपना व्हाट्सएप नंबर देते हैं, जिसमें उसकी वर्दी वाली डीपी नजर आती है, जिसकी वजह से लोगों को यकीन हो जाता है। आरोपी अस्पतालों का भरोसा जीतने के लिए अपने खाते से अस्पतालों के खाते में चंद रुपए ट्रांसफर भी करता है। लेकिन असली खेल तब होता है, जब दी गई लिंक खोली जाती है, तब अपराधी द्वारा अस्पतालों का खाता खाली कर दिया जाता है।

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एडिशनल डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस स्टेट साइबर सेल योगेश चौधरी ने मामले की जानकारी देते हुए कहा है कि इनदिनों साइबर अपराधी आर्मी आफिसर बनकर नए तरीके से ठगी कर रहे हैं। साइबर आरोपी कोरोना काल में हास्पिटल्स, पैथोलॉजी में डाक्टरों और लैब के तकनीशियन्स पर निशाना साध रहे हैं। आरोपी प्रदेश के बाहर पोस्टिंग का हवाला देकर कई जांचों की बात कहते हैं, वे कहते हैं कि परिजनों की कोविड समेत आंखों की जांच भी करवानी है। आरोपी अस्पतालों से वाट्सऐप के जरिए पेटीएम, फोनपे या गूगलपे या का नंबर लेते हैं। भरोसा जीतने के लिए उस नंबर पर 5 से 10 रुपए भेजते हैं। फिर वे फरियादी से अकाउंट चेक करने को कहते हैं।

जब लोगों को भरोसा हो जाता है तब शातिर अपराधी सभी टेस्ट की फीस और उतने अमाउंट का रिक्वेस्ट करने को कहते हैं,जैसे ही फोनपे, गूगलपे या पेटीएम पर रिक्वेस्ट आती है, वे जल्दी करने को कहते हैं, जैसे ही फरियादी रिक्वेस्ट पर क्लिक करता है, उस पर UPI पिन डालता है, उसके खाते से उतने रुपए निकल जाते हैं। साइबर सेल के पास दो नामी गिरामी अस्पतालों की ओर से इसकी शिकायत मिली है, पुलिस ने अस्पतालों के नाम का खुलासा नहीं किया है। पुलिस ने लोगों से अपील की है कि ऐसे लोगों से सतर्क रहें।

 पुलिस ने लोगों से अपील की है कि वर्दी वाली फोटो देखकर किसी झांसे में ना आएं, किसी सेना की यूनिफार्म वाली डीपी, आईकार्ड व्हाट्सएप पर देखकर बिना जांच के भरोसा नहीं करें। पुलिस ने लोगों से अपील की है कि UPI पेमेंट रिसीव करने के लिए पिन की जरूरत नहीं होती है। पुलिस ने फर्जी, SMS और ईमेल पर बिना कन्फर्मेंशन के क्लिक ना करें। वहीं किसी से अपना खाता नंबर, डेबिट, क्रेडिट कार्ड का  नंबर शेयर नहीं करें