ग्वालियर। मध्यप्रदेश में ग्वालियर के एक सरकारी अस्पताल की नर्स अस्पताल के सीनियर डॉक्टर पर गंभीर आरोप लगा रही है, वो एफआईआर कराना चाहती है पर कोई सुनवाई नहीं हो रही है। जया आरोग्य हॉस्पिटल में कार्यरत नर्स का आरोप है कि अस्पताल के नोडल अधिकारी डॉ प्रवेश भदौरिया उनपर शारीरिक संबंध बनाने का दबाव डालते हैं। महिला का कहना है कि आरोपी डॉक्टर, केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का दामाद है, इस वजह से शिकायत के बावजूद पुलिस एफआईआर नहीं लिख रही है।



महिला ने ग्वालियर एसपी अमित सांघी को इस संबंध में लिखित शिकायत दी है। शिकायत में उन्होंने लिखा है कि डॉ प्रवेश भदौरिया काफी लंबे समय से शारीरिक संबंध बनाने का दबाव बना रहे हैं। महिला के मुताबिक भदौरिया ने उन्हें धमकी दी है कि यदि वह उसके साथ यौन संबंध नहीं बनाएगी तो उसे सस्पेंड करवा दिया जाएगा। साथ ही एफआईआर करने पर दलित सहकर्मी जो कि कथित रूप से पूर्व मंत्री इमरती देवी के रिश्तेदार हैं उनसे झूठा हरिजन एक्ट का केस लगवाने की धमकी भी दी जा रही है।



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पीड़ित महिला ने इस संबंध में एक वीडियो भी जारी किया है। वीडियो में पीड़िता ने विस्तार से बताया है कि किस तरह पिछले साल से तोमर का दामाद उन्हें यौन संबंध बनाने का दबाव डाल रहा है। उस दौरान भी महिला ने शिकायत की थी लेकिन नर्स के मुताबिक डॉक्टर ने डरा-धमकाकर राजीनामा बनवाया लिया था। इसके बाद उसने फिर से महिला को प्रताड़ित करना शुरू कर दिया। 





इतना ही नहीं महिला ने तो यहां तक बताया है कि हॉस्पिटल में कई महिलाएं आरोपी के कुकृत्यों से व्यथित हैं। वह सभी को यौन संबंध बनाने के लिए मजबूर करता है। महिला ने हम समवेत से बातचीत के दौरान बताया कि तोमर का दामाद होने के कारण स्वास्थ्य और पुलिस महकमे में उसका खौफ है। इसीलिए शिकायत के 10 दिन बीत जाने के बावजूद पुलिस ने मामले में एफआईआर तक दर्ज नहीं की है। जबकि शिकायत की कॉपी थाने से लेकर एसपी, आईजी समेत कई बड़े अधिकारियों को भेजा जा चुका है।



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आरोप लगानेवाली महिला नर्स यह भी दावा कर रही है कि शिकायत के बाद उसे जान से मारने की धमकी दी जा रही है। इस पूरे घटनाक्रम पर ग्वालियर एसपी अमित सांघी का कहना है कि पुलिस इस मामले की जांच की जा रही है। जांच में दौरान जो तथ्य सामने आएंगे, उस आधार पर कार्रवाई की जाएगी।' हालांकि, यह जांच कबतक पूरी होगी और एफआईआर कब दर्ज किया जाएगा इस संबंध में उन्होंने कुछ नहीं कहा।