जबलपुर। एक स्कूल प्रिंसिपल ने आरोप लगाया है कि भ्रष्टाचार की शिकायत करने की वजह से उन्हें निलंबित करके प्रताड़ित किया जा रहा है। जिले के शिक्षा अधिकारियों पर यह गंभीर आरोप जबलपुर के मॉडल हाई स्कूल की प्रिंसिपल वीणा बाजपेयी ने लगाया है। उनका आरोप है कि जेडी राजेश तिवारी और जिला शिक्षा अधिकारी ने भोपाल जाकर उन्हें सस्पेंड करवाया है। एक बार भी शासन ने उनका पक्ष नहीं सुना, बिना सफाई का अवसर दिए सस्पेंड कर दिया गया है। अब इस मामले की शिकायत वीणा बाजपेयी ने महिला आयोग भोपाल से की है।  

वीणा वाजपेयी का कहना है कि अधिकारी उनपर फाइलों में हेरफेर का दबाव बना रहे थे। अधिकारियों की मनमानी में साथ नहीं देने की सजा के तौर पर उन्हें निलंबित किया गया है। जबलपुर जिला परियोजना समन्वयक (डीपीसी) आरपी चतुर्वेदी के खिलाफ वित्तीय अनियमितताओं की जांच पिछले करीब दो साल से चल रही थी। जेडी द्वारा उन्हें दफ्तर में आकर जांच रिपोर्ट में सुधार करने का दबाव बनाया जा रहा था। जिसका वीणा बाजपेयी ने विरोध किया था, उन्होंने कहा था किसी भी तरह का बदलाव करना नियम के खिलाफ है। जिसके बाद जेडी ने प्रिंसिपल वीणा बाजपेयी की सीआर रिपोर्ट खराब करने की धमकी फोन पर दी थी।

प्रिंसिपल पर वित्तीय अनियमितताओं और जेडी लोक शिक्षण और जिला शिक्षा अधिकारियों को सहयोग नहीं करने का आरोप लगाया गया है। जिसके बाद महिला प्रिंसिपल को निलंबित कर दिया गया है। दरअसल आरटीआई के अंतर्गत निजी स्कूलों को फीस पूर्ति में लाखों की अनियमितता की जांच हुई थी, जिसमें निजी स्कूलों को दी जाने वाली 25% राशि के नाम पर फर्जीवाड़ा उजागर हुआ था। जिसके बाद लंबित शिकायतों की जांच रिपोर्ट तैयार हुई थी। इस रिपोर्ट में कई लोगों के दोषी होने की बात सामने आई थी।

यह रिपोर्ट 270 पन्नों थी, जिसे शिक्षा विभाग को भेजा गया था। रिपोर्ट के मुताबिक जिला शिक्षा अधिकारी जबलपुर द्वारा आरपी चतुर्वेदी के खिलाफ कई आरोप लगाए गए हैं। आठ आरोप पूरी तरह से औऱ एक आरोप आंशिक रूप से प्रमाणित किया गया था। जिसके बाद अफसरों द्वारा इस केस में आरपी चतुर्वेदी को दोषी बनाया गया था। वीणा वाजपेयी का आरोप है कि जेडी राजेश तिवारी ने डीपी चतुर्वेदी को बचाने के लिए कई अफसरों के साथ मिलकर उन्हें सस्पेंड करवा दिया।

जेडी राजेश तिवारी का कहना है कि वीणा बाजपेयी ने अस्पष्ट जानकारी दी थी,एक लाइन में दी गई जानकारी परीक्षण दल को समझ नहीं आ रही थी। प्रिंसिपल पर आरोप है कि उन्होंने पर्याप्त सबूत भी नहीं लगाए थे। जब सुधार के लिए कहा गया तो उन्होंने टाइम खराब करने की बात कही। जेडी का कहना है कि प्रिंसिपल द्वारा एक अफसर को ऐसा जबाव देना उचित नहीं है। कर्मचारी संघ का कहना है कि महिला प्रिंसिपल भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठा रही थीं। इसी वजह से अधिकारियों ने मिलीभगत करके उन्हें सस्पेंड कर दिया है।