भोपाल। मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार ने आज 15 अगस्त को कोरोनाकाल में सेवारत रहे पुलिसकर्मियों को कर्मवीर योद्धा सम्मान दिया। पूरे कोरोना संकट के दौर में राज्य के 1 लाख 2 हज़ार पुलिसकर्मी अपनी जान पर खेलकर जनता की सेवा में तैनात रहे लेकिन राज्य सरकार ने उनमें से केवल 39 हज़ार 185 कर्मियों को ही इस सम्मान के काबिल समझा। इस तारतम्य में राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ ने माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्विटर के माध्यम से राज्य सरकार से सवाल किया है कि आखिर कब तक वो कोरोना योद्धाओं का इस प्रकार अपमान करती रहेगी। 



कमलनाथ ने ट्वीट करते हुए लिखा कि, ‘मध्यप्रदेश में 1 लाख 20 हज़ार के पुलिस बल में से सिर्फ 39 हज़ार 185 को ही कोरोना काल में सेवाओं को देखते हुए “कर्मवीर योद्धा सम्मान”? इसके पूर्व भी प्रदेश में 156 पुलिसकर्मियों की कोरोना काल में मौत और उसमें से सिर्फ 6 को ही अभी तक सरकार की कोरोना योद्धा योजना का लाभ ?’ नाथ ने शिवराज चौहान की सरकार पर सेवारत रहे कर्मियों का अपमान करने का आरोप लगाया। उन्होंने आगे लिखा कि, ‘पता नहीं शिवराज सरकार में कोरोना योद्धाओं का बार-बार असम्मान कर ,उनका क्यों मजाक उड़ाया जा रहा है?’ 





राज्य कांग्रेस के मुखिया ने राज्य सरकार से सवाल किया है कि यदि पूरा का पूरा पुलिस बल कोरोना काल में जी जान से जनता की सेवा कर रहा था तो बाकियों की सेवा का सत्य दरकिनार कर आखिर क्यों केवल चंद लोगों को इस सम्मान से नवाजा जा रहा है। उन्होंने लिखा, ‘सभी जानते हैं कि प्रदेश के समस्त पुलिस अधिकारियों-कर्मचारियों ने इस कोरोना काल में अपनी जान पर खेलकर, ईमानदारी से जन सेवा का अपना कर्तव्य निभाया है,अब उसमें से बल संख्या के सिर्फ 40% लोगों को नाम ही सम्मान की सूची में ,बाकी 60% के योगदान की अनदेखी? निश्चित तौर पर यह कोरोना योद्धाओं के मनोबल को तोड़ने का काम है।’ 



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कमल नाथ ने शिवराज सिंह चौहान की भाजपा सरकार से मांग की है कि जिन लोगों को सम्मान की सूची से बाहर रखा गया है उन्हें भी उनके हक का सम्मान मिले। कमल नाथ ने लिखा, ‘मैं सरकार से मांग करता हूँ कि पुलिस फ़ोर्स के जो लोग इस सम्मान से वंचित रह गए हैं , उनका भी नाम शामिल किया जाकर उन्हें भी यह सम्मान दिया जावे।’