भोपाल। मध्य प्रदेश पर कर्ज का बोझ बढ़ता ही जा रहा है। पूर्ववर्ती शिवराज सरकार द्वारा कर्ज लेकर शुरू की गई योजनाएं मौजूदा मोहन यादव सरकार के लिए सिरदर्द बनी हुई हैं। हालत ये है कि राज्य सरकार के पास लाडली बहना योजना जारी रखने के लिए फंड नहीं है। योजना की किश्त देने व अन्य योजनाओं के संचालन हेतु अब मोहन यादव सरकार कर्ज पर ही निर्भर है।

मध्य प्रदेश के वित्त विभाग ने डेढ़ महीने पहले केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा था जिसमें RBI को लोन लेने की अनुमति मांगी गई थी। दो दिन पहले ही इसे स्वीकृति मिली है। ऐसे में प्रदेश सरकार अपने खर्चों के लिए 2500 करोड़ का कर्ज जून महीने में ले सकती है। वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए सरकार ने अलग-अलग किश्तों में 42,500 करोड़ रुपये का कुल कर्ज लिया था।

प्रदेश पर करीब चार लाख करोड़ रुपये का कर्ज है। मध्य प्रदेश में औसतन प्रति व्यक्ति कर्ज 45 हजार रुपए से ज्यादा है, जो आने वाले समय में और बढ़ सकता है। राज्य में लाड़ली बहना योजना का हर महीने का खर्च 1676 करोड़ है। बजट की तैयारी के साथ इस पर भी काम चल रहा है।

वित्त विभाग ने पिछले महीने अन्य राज्यों में स्थित मप्र सरकार की संपत्तियों की जानकारी सभी विभागों से मांगी थी। बढ़ते कर्ज के बीच प्लान है कि इन संपत्तियों में जो कानूनी पचड़ों से परे हैं, उन्हें किराये पर देकर या बेचकर अतिरिक्त आय जुटाई जाए। जानकारी के मुताबिक महाराष्ट्र, यूपी, उत्तराखंड सहित कई राज्यों में मप्र की 1 लाख करोड़ की संपत्तियां हैं। सबसे अधिक मुंबई में 50,000 करोड़ की लगभग 465 संपत्तियां हैं। वित्त विभाग द्वारा संपत्ति का वर्तमान मूल्य और उसकी कानूनी स्थिति की जानकारी भी मांगी गई है।