भोपाल। मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में बीते दिनों हुए कफ सिरप कांड जैसी घटनाओं से सबक लेते हुए मध्यप्रदेश सरकार ने दवा आपूर्ति व्यवस्था में पारदर्शिता और मरीजों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बड़ा कदम उठाया है। अब राज्य के सभी सरकारी अस्पतालों में सप्लाई होने वाली दवाओं पर बारकोड या क्यूआर कोड लगाना अनिवार्य कर दिया गया है। इस तकनीक आधारित पहल को ड्रग ट्रैकिंग-ट्रेसिंग सिस्टम नाम दिया गया है। इस व्यवस्था के साथ मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य बन गया है जिसने सरकारी अस्पतालों में दवा वितरण को पूरी तरह डिजिटल और पारदर्शी बनाया है।
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सरकार की इस नई व्यवस्था के तहत मध्यप्रदेश पब्लिक हेल्थ सर्विसेस कॉरपोरेशन लिमिटेड ने अपनी नई टेंडर नीति में शर्त जोड़ी है कि राज्य के अस्पतालों को सप्लाई की जाने वाली लगभग 1200 प्रकार की दवाओं की पैकेजिंग पर बारकोड या क्यूआर कोड अनिवार्य होगा। यह कोड दवा के निर्माण और एक्सपायरी डेट, बैच नंबर, निर्माता कंपनी का नाम, लाइसेंस विवरण, किस अस्पताल में सप्लाई हुई और कितना स्टॉक बचा है, इन सभी जानकारियों को डिजिटल रूप में बताएगा।
अब दवा का कोई भी पैक स्कैन करते ही मरीज, डॉक्टर या अस्पताल प्रशासन को मोबाइल या कंप्यूटर पर एक क्लिक में पूरी जानकारी मिल जाएगी। सिस्टम इस तरह डिजाइन किया गया है कि दवा की एक्सपायरी डेट नजदीक आने पर यह स्वतः अलर्ट भेज देगा जिससे समय रहते स्टॉक को अन्य केंद्रों पर भेजा जा सके।
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अधिकारियों ने बताया कि अगले चरण में सिस्टम को इस स्तर तक विकसित किया जा रहा है कि यह पता लगाया जा सके कि कौन सी दवा किस मरीज को और कब दी गई। इसके लिए मरीज के मोबाइल नंबर और पते के आधार पर रिकॉर्ड तैयार किया जाएगा। इस व्यवस्था से सरकार पर कोई अतिरिक्त वित्तीय बोझ नहीं पड़ेगा। ऐसा इसलिए क्योंकि बारकोडिंग और क्यूआर कोडिंग का काम फार्मा कंपनियां खुद करेंगी।
राज्य के स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, मध्यप्रदेश में लगभग 10 हजार करोड़ रुपये का दवा कारोबार है। इसमें करीब 1 प्रतिशत दवाएं नकली या गलत पैकिंग में पाई जाती हैं। अब नई बारकोड व्यवस्था से ऐसी नकली दवाओं की पहचान और रोकथाम अस्पताल स्तर पर ही संभव होगी। सीएमएचओ डॉ. मनीष शर्मा ने बताया कि सरकारी अस्पतालों में अब हर दवा की पैकिंग पर बारकोड या क्यूआर कोड अनिवार्य होगा। इसे स्कैन करते ही दवा की कंपनी, बैच नंबर, एक्सपायरी डेट और अन्य विवरण मिल जाएंगे। उन्होंने कहा कि यह व्यवस्था काफी समय से विचाराधीन थी। हालांकि, अब एमपीपीएचसी ने औपचारिक रूप से लागू कर दिया है। जैसे ही पुराना स्टॉक खत्म होगा नया स्टॉक कोड के साथ अस्पतालों में पहुंचना शुरू हो जाएगा। इस प्रणाली से नकली दवाओं की आपूर्ति पर प्रभावी रोक लगेगी।
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मध्यप्रदेश के इस कदम के बाद केंद्र सरकार भी देशभर में नकली दवाओं की रोकथाम के लिए सख्त कानून लाने की तैयारी में है। प्रस्तावित कानून के तहत सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन को सीधे कार्रवाई का अधिकार दिया जाएगा और देश की हर दवा पैक पर डिजिटल क्यूआर ट्रैकिंग अनिवार्य की जाएगी।
स्वास्थ्य विभाग ने स्पष्ट किया है कि जिन दवाओं की पैकिंग पहले से बिना बारकोड के है उन्हें निर्धारित समय तक ही उपयोग किया जा सकेगा। उसके बाद सभी पुराने स्टॉक को चरणबद्ध तरीके से बदला जाएगा। सरकार का लक्ष्य है कि अगले वित्तीय वर्ष से पहले यह व्यवस्था राज्य के सभी जिला अस्पतालों, मेडिकल कॉलेजों और स्वास्थ्य केंद्रों में लागू हो जाए। फार्मा कंपनियों और सप्लायर्स को इस संबंध में पहले ही नोटिस भेजा जा चुका है।
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