भोपाल। मध्य प्रदेश की 28 सीटों पर होने वाले उपचुनाव की तारीखों के ऐलान होने के साथ ही सियासी सरगर्मी तेज हो गई है। बीजेपी के सामने सबसे बड़ी चुनौती पार्टी के उन पुराने नेताओं की नाराज़गी को दूर करना है, जो ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ आए दलबदलू नेताओं को पार्टी का उम्मीदवार बनाए जाने से खफा हैं। उन नेताओं और कार्यकर्ताओं की नाराज़गी तो सबसे बड़ी चुनौती बन सकती है, जो खुलकर कुछ कहने की जगह भीतर ही भीतर नाराज़ चल रहे हैं और जिसका खामियाजा पार्टी को मतदान वाले दिन उठाना पड़ सकता है। 

इसी नाराजगी और अंदरूनी कलह को दूर करने की कोशिश में आज बीजेपी के तमाम पड़े नेता नेता भोपाल पहुंचे हैं, जहां वे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के साथ मिलकर आगे की रणनीति पर विचार करेंगे। इनमें राष्ट्रीय महामंत्री कैलाश विजयवर्गीय और राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के अलावा जेपी नड्डा की नई टीम में चुने गए लाल सिंह आर्य, ओम प्रकाश धुर्वे, सांसद सुधीर गुप्ता भी शामिल हैं। हालांकि, बीजेपी के 25 प्रत्याशी लगभग तय हैं, उसके बावजूद उभर रहे असंतोष को दूर करने और अंदरूनी कलह और मनमुटाव को खत्म करने की कोशिश होगी। हालांकि इतने कम वक्त में असंतुष्टों को साधने का काम आसान नहीं होगा।

सबसे बड़ा फोकस ग्वालियर-चंबल है, इसलिए वहां कांग्रेस के खिलाफ क्या रणनीति होगी यह तय होगा। इसके अलावा अनुसूचित जाति के वोटों को साधने के लिए भी रणनीति बनाई जाएगी। इसी रणनीति के तहत एससी वोटर्स को लुभाने के लिए केंद्रीय नेतृत्व ने लाल सिंह आर्य को एससी मोर्चा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया है। 2018 के विधानसभा चुनाव में गोहद से पूर्व मंत्री लाल सिंह आर्य चुनाव हार गए थे, उन्हें हराने वाले कांग्रेस के रणवीर जाटव अब सिंधिया के समर्थन में बीजेपी में शामिल हो गए। जिसके बाद उनका फिर से चुनाव लड़ना तय है। ऐसे में लाल सिंह आर्य नाराज बताए जा रहे हैं। बताया जा रहा है कि मध्य प्रदेश बीजेपी में ऐसे नाराज़ पुराने नेताओं-कार्यकर्ताओं की तादाद अच्छी खासी है, जिसने उप-चुनाव से ठीक पहले खास तौर पर सिंधिया खेमे की चिंताएं बढ़ा दी हैं।