भोपाल। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बीजेपी से ख़फा होकर चुनाव प्रचार से किनारा कर लिया है - ये चर्चा पिछले दो दिनों के दौरान सिंधिया के किसी चुनावी कार्यक्रम में नज़र न आने की वजह से तेज़ हो गई है। सिंधिया अपनी करीबी नेता इमरती देवी के नॉमिनेशन में भी नहीं पहुंचे, जबकि गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा समेत कई अन्य नेता वहां मौजूद थे। गुरुवार को सिंधिया के अपने शहर ग्वालियर में भी सीएम शिवराज ने अकेले ही प्रचार किया। 



सिंधिया की गैर-मौजूदगी और नाराज़ होने की इन चर्चाओं के बीच कांग्रेस कह रही है कि सिंधिया दरअसल स्टार प्रचारकों की लिस्ट में दसवें नंबर पर रखे जाने से रूठकर कोपभवन में चले गए हैं। मध्य प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता केके मिश्रा ने ट्वीट किया, 'रूठे-रूठे पिया मनाऊं कैसे' ,स्टार प्रचारकों में 10 नम्बरी होने के बाद "श्रीअन्त" का दर्द फूटा,किया चुनावी प्रचार से परहेज़! आज ग्वालियर-मुरैना की चुनावी सभाओं में तोमर-शिवराज की संयुक्त सभाएं,नई एक्सप्रेस बाजार में! पुरानी मालगाड़ी पटरी से उतरी, ऐसे बेइज्जती कभी भी नहीं हुई होगी।'





उपचुनाव के ठीक पहले सिंधिया के सक्रिय न रहने के पीछे बीजेपी से उनकी नाराजगी को मुख्य कारण बताया जा रहा है। चर्चा यह है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया को अब बीजेपी में अपनी उपेक्षा का एहसास होने लगा है। जिस सिंधिया का कांग्रेस में ऐसा दबदबा था कि ग्वालियर अंचल के बड़े से लेकर छोटे हर फैसले में अंतिम मुहर वही लगाते थे, वहां बीजेपी के चुनावी रथ में उनकी तस्वीर तक नहीं लगी। और हद तो तब हुई जब बीजेपी ने स्टार प्रचारकों की सूची में सिंधिया को 10वें पायदान पर रख दिया गया। सिंधिया के साथ हो रहे इस बर्ताव को लेकर उनके समर्थकों में भी नाराजगी बताई जा रही है। 



और पढ़ें: सिंधिया बन गए दस नंबरी, बीजेपी स्टार प्रचारकों की लिस्ट देखकर बोली कांग्रेस



दिलचस्प बात यह भी है कि सिंधिया की नाराजगी उनके समर्थकों को भी दिख रही है और कांग्रेस को भी। लेकिन बीजेपी नेता इस मामले में कोई भी ठोस बात कहने से बच रहे हैं। इस बारे में पूछे जाने पर बीजेपी सिर्फ इतना ही कहना है कि आने वाले समय मे सिंधिया की लगातार चुनावी सभाएं होनी हैं। थोड़ा इंतजार कीजिए।



सिंधिया की नाराज़गी के बारे में उनकी कट्टर समर्थक समझी जाने वाली वाली इमरती देवी ने जो जवाब दिया है, वो तो और भी दिलचस्प है। मीडिया में आई खबरों के मुताबिक इस बारे में पूछे जाने पर इमरती देवी ने कहा कि बीजेपी में नेताओं की फौज है, और प्रचारक बहुत हैं। हमारे यहां कांग्रेस जैसा नहीं है कि सिर्फ एक ही नेता हैं। तो क्या इसका यह मतलब निकाला जाए कि इमरती देवी के लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया अब बीजेपी नेताओं और प्रचारकों की फौज में शामिल सिर्फ एक नाम भर रह गए हैं? 



दरअसल, मध्य प्रदेश उपचुनाव के दौरान सिंधिया का दो दिन के लिए भी प्रचार से बाहर होना इसलिए भी बड़ा मुद्दा बन रहा है, क्योंकि कोरोना काल में राज्य की जनता पर अब तक का सबसे बड़ा उपचुनाव थोपा ही उनकी वजह से गया है। न सिंधिया पाला बदलते, न कमलनाथ सरकार गिरती और न महामारी के बीच चुनाव प्रचार और मतदान की चुनौती मध्य प्रदेश को झेलनी पड़ती। यानी जिन सिंधिया ने प्रदेश पर इतना बड़ा बोझ लादा, वो खुद चुनाव प्रचार की गहमा-गहमी से अलग रूठकर बैठ जाएं, तो बातें तो होंगी ही।