भोपाल। ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण देने को लेकर घिरे मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ को पत्र का जवाब भेजा है। दो हफ्ते बाद दिए जवाब में शिवराज ने कहा है कि  सरकार प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों के लिए राजकीय शासकीय सेवाओं में आरक्षण लागू करने के लिए कटिबद्ध है।उन्होंने उल्टे कांग्रेस सरकार ओर ठोस कदम नहीं उठाने का आरोप लगाया है। 

पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने 18 जुलाई को मुख्यमंत्री को राज्य की पीएससी सेवाओं में ओबीसी वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए आरक्षण लागू कराए जाने के सम्बन्ध में पत्र लिखा था। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसका जवाब देते हुए लिखकर कहा है कि आप अवगत हैं कि मेरी सरकार सामाजिक व आर्थिक तौर पर पिछड़े लोगों के कल्याण के लिए हमेशा कटिबद्ध रही है। यह पिछले चार महीनों में कोरोना से निपटने के लिए सरकार द्वारा उठाए क़दमों से और भी स्पष्ट हो जाता है।

कमल नाथ सरकार ने आरक्षण के प्रति उदासीन रवैया अपनाया 
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि राज्य में ओबीसी वर्ग के आरक्षण बढ़ाने के सम्बन्ध में प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने उदासीन रवैया अपनाया। जबलपुर उच्च न्यायालय में लंबित इस मामले में कमल नाथ सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। अदालत द्वारा बार बार जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए जाने के बाद भी राज्य सरकार की ओर से कोर्ट में कोई हलफनामा नहीं दिया गया। कोर्ट के निर्देश के बाद भी सरकार के महाधिवक्ता हिमांशु मिश्रा उपस्थित नहीं हुए। शिवराज ने कमल नाथ को पत्र में कहा है कि कांग्रेस की सरकार ने लापरवाही बरतते हुए एक साल तक ओबीसी आरक्षण के मसले पर चुप्पी साधी रखी। लेकिन मेरी सरकार ओबीसी वर्ग के आरक्षण को लागू करने के लिए पूर्ण रूप से कटिबद्ध है। 

दरअसल प्रदेश की पूर्वर्ती कमल नाथ सरकार ने राज्य की शासकीय सेवाओं में ओबीसी आरक्षण को 14 फीसदी से बढ़ा कर 27 फीसदी कर दिया था। इसके खिलाफ उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई। सरकार और न्यायालय में सामंजस्य की गैर मौजूदगी के बाद न्यायालय ने कमल नाथ सरकार के इस फैसले को स्थगित कर दिया। कमल नाथ सरकार के फैसले के खिलाफ दायर की गई याचिका में कहा गया था कि संवैधानिक रूप से आरक्षण 50 फीसदी से अधिक नहीं दिया जा सकता।राज्य सरकार के ओबीसी आरक्षण बढ़ाने के फैसले से आरक्षण 63 फीसदी हो जाएगा। दरअसल इस समय शासकीय सेवाओं में अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति तथा अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए क्रमशः 20,16,और 14 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था है। अगर ओबीसी वर्ग को 27 फीसदी आरक्षण दिया जाता है तो शासकीय सेवाओं में कुल 63 फीसदी सीटें आरक्षित हो जाएंगी।