मध्यप्रदेश सरकार ने मंडी अधिनियम में कई संशोधन किये हैं। इनके लागू होने से अब किसान घर बैठे ही अपनी फसल निजी व्यापारियों को बेच सकेंगे। उन्हें मंडी जाने की बाध्यता नहीं होगी। इसके साथ ही, उनके पास मंडी में जाकर फसल बेचने तथा समर्थन मूल्य पर अपनी फसल बेचने का विकल्प भी जारी रहेगा।

मंत्रालय में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से किसानों को मंडी अधिनियम में किए गए संशोधनों की जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि अधिक प्रतिस्पर्धी व्यवस्था बनाकर हमने किसानों के हित में यह प्रयास किया है। मुख्यमंत्री ने बताया कि अब व्यापारी लाइसेंस लेकर किसानों के घर पर जाकर अथवा खेत पर उनकी फसल खरीद सकेंगे। पूरे प्रदेश के लिए एक लाइसेंस रहेगा। व्यापारी कहीं भी फसल खरीद सकेंगे। हमने ई-ट्रेडिंग व्यवस्था भी लागू की है, जिसमें पूरे देश की मंडियों के दाम किसानों को उपलब्ध रहेंगे। वे देश की किसी भी मंडी में, जहाँ उनकी फसलों का अधिक दाम मिले, सौदा कर सकेंगे।

चौहान ने बताया कि इस बार हमने प्रदेश में सौदा पत्रक व्यवस्था लागू की है। इसके माध्यम से व्यापारी किसानों से उनकी फसल घर से ही खरीद रहे हैं। मंडियों की खरीद की लगभग 80% खरीदी सौदा पत्रकों के माध्यम से हुई है तथा किसानों को इससे उनकी उपज का अच्छा मूल्य भी प्राप्त हुआ है। इस प्रयोग के परिणाम सकारात्मक होने के कारण हमने मंडी अधिनियम में संशोधन किये हैं।

मुख्यमंत्री चौहान ने बताया कि अब सात नए प्रावधानों को मंडी अधिनियम में शामिल किया गया है। ये हैं:

  • निजी क्षेत्रों में मंडियों की स्थापना के लिये प्रावधान।
  • गोदामों, साइलो कोल्ड स्टोरेज आदि को भी प्राइवेट मंडी घोषित किया जा सकेगा।
  • किसानों से मंडी के बाहर ग्राम स्तर से फूड प्रोसेसर, निर्यातक, होलसेल विक्रेता और अंतिम उपयोगकर्ता को सीधे उपज खरीदने का प्रावधान।
  • मंडी समितियों का निजी मंडियों के कार्य में कोई हस्तक्षेप नहीं रहेगा।
  • प्रबंध संचालक मंडी बोर्ड से रेगुलेटरी शक्तियों को पृथक कर संचालक विपणन को दिए जाने का प्रावधान।
  • पूरे प्रदेश में एक ही लाइसेंस से व्यापारियों को व्यापार करने का प्रावधान।
  • ट्रेनिंग के लिए प्रावधान।