जबलपुर। मंगलवार को जबलपुर हाईकोर्ट ने इंदौर पालक संघ के अंतरिम आवेदन में दायर की गई याचिका को स्वीकार करते हुए आदेश दिया कि निजी स्कूल फीस भुगतान नहीं करने पर भी किसी छात्र छात्रा का नाम नहीं काट सकते हैं।

उच्च न्यायालय में निजी स्कूलों द्वारा की जा रही जबरन फीस वसूली का मामला अभी लंबित है। इसलिए न्यायालय ने मामले की सुनवाई पूरी होने तक स्कूलों में अध्ययनरत छात्रों का नाम न काटने के आदेश दिए हैं। इंदौर पालक संघ की याचिका पर अगली सुनवाई 10 अगस्त को की जाएगी।

स्टे ऑर्डर की आड़ में छात्रों का नाम काट रहे स्कूल 
इंदौर पालक संघ ने अपनी याचिका में यह प्रार्थना की थी कि इंदौर हाई कोर्ट द्वारा दिए गए स्टे आर्डर की आड़ में प्राइवेट स्कूल फीस नहीं भरने पर बच्चों के नाम स्कूल से काट रहे हैं। इसी पर संज्ञान लेते हुए जबलपुर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश अजय कुमार मित्तल ने छात्रों के नाम नहीं काटने के आदेश जारी किए हैं। इंदौर पालक संघ की ओर से अधिवक्ता विभोर खण्डेलवाल द्वारा पैरवी की जा रही है।इंदौर पालक संघ के अध्यक्ष अनुरोध जैन के माध्यम से प्रस्तुत आवेदन में यह मांग भी की गई है कि कक्षा 5वी तक की पूर्ण फीस माफ की जाए क्योंकि सरकार द्वारा 5वी कक्षा तक की ऑन लाइन क्लास पर भी रोक लगा दी गई है।

इससे पहले जबलपुर उच्च न्यायालय ने निजी स्कूल द्वारा की जा रही जबरन फीस वसूली के मामले पर सोमवार 27 जुलाई को राज्य सरकार और सीबीएसई बोर्ड को जवाब दाखिल करने के लिए कहा था। कल हुई मामले की सुनवाई में राज्य सरकार ने न्यायाधीश अजय कुमार मित्तल और वीके शुक्ला की युगल बेंच के सामने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि कोरोना काल में राज्य सरकार ने निजी स्कूलों को छात्रों से केवल ट्यूशन फीस लेने के आदेश जारी किए गए थे। राज्य सरकार ने कहा कि इसके साथ ही कक्षा पांचवीं तक के ऑनलाइन कक्षाओं पर भी रोक लगाई गई है। उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार के बयान को रिकॉर्ड कर लिया है। इसके साथ ही न्यायालय ने सीबीएसई बोर्ड को मामले के ऊपर अपना जवाब दाखिल करने के लिए 10 अगस्त तक का समय दे दिया है।