सुमावली। मध्य प्रदेश उपचुनाव के बीच बीजेपी नेता और गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कमलनाथ सरकार गिराने के बारे में बड़ा खुलासा किया है। उन्होंने दावा किया है कि कमलनाथ सरकार को गिराने का बीजारोपण तो उनके शपथ ग्रहण के दिन ही हो गया था। नरोत्तम मिश्रा का कहना है कि इस काम में उनका साथ दिया था तत्कालीन कांग्रेस विधायक एदल सिंह कसाना ने। मिश्रा का दावा है कि मंत्री न बनाए जाने की वजह से नाराज़ कसाना पहले दिन से ही सरकार गिराने की फिराक़ में थे।

नरोत्तम मिश्रा ने ये दावा भी किया कि कमलनाथ की सरकार ज्योतिरादित्य सिंधिया ने नहीं गिराई थी। मिश्रा ने कहा, 'कोई कह रहा है कि नरोत्तम मिश्रा ने कमलनाथ सरकार गिराई है तो कोई कह रहा है कि सिंधिया ने सरकार गिराई है। लेकिन ऐसा नहीं है। दरअसल सरकार तो एंदल सिंह कसाना ने गिराई है।' गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने ये धमाकेदार दावे उपचुनाव में बीजेपी के प्रत्याशी और शिवराज सरकार के मंत्री एंदल सिंह कसाना के विधानसभा क्षेत्र सुमावली में चुनाव प्रचार के दौरान किए।

शपथ ग्रहण के दिन से दुखी थे कंसाना: मिश्रा

नरोत्तम मिश्रा ने कमलनाथ सरकार के शपथ ग्रहण के दिन का किस्सा भी जनसभा के मंच से सुनाया। उन्होंने कहा, "मैं कसम खाकर कह रहा हूं। कसाना से मेरी पुरानी दोस्ती है और सरकार गिराने में उन्हीं का हाथ है। जब शपथग्रहण हो रहा था तब हम दोनों अकेले बैठे थे। मुझे इस बात का गम था कि कांग्रेस सरकार बन गई और कसाना इस बात से दुखी थे कि कांग्रेस की सरकार तो बनी पर वह मंत्री नहीं बन पाए।"

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दोनों तरफ लगी थी आग

नरोत्तम मिश्रा ने आगे बताया कि दोनों तरफ आग लगी थी। मेरे दिल में भी और कसाना के दिल में भी। मैं विपक्ष में बैठा था लेकिन कसाना सत्तापक्ष में होकर भी विपक्ष में थे। उसी दिन सरकार गिराने का बीजारोपण हुआ। मिश्रा के इन दावों से प्रदेश की राजनीति एक बार फिर गरमा गई है। बता दें कि इसके पहले सीएम शिवराज ने कहा था कि तुलसी सिलावट न होते तो कमलनाथ सरकार नहीं गिर पाती।

चुनी हुई सरकार को गिराने का श्रेय लेने-देने की होड़ क्यों

कुल मिलाकर बीजेपी के नेताओं में कमलनाथ की सरकार को गिराने का श्रेय लेने-देने की होड़ मची है। शिवराज चौहान तुलसी सिलावट को श्रेय दे रहे हैं, तो नरोत्तम मिश्रा एंदल सिंह कसाना को। किसकी बातों में कितनी सच्चाई है, ये तो वे ही जानें, लेकिन एक बात को साफ है। मुख्यमंत्री हों या गृहमंत्री, बीजेपी के दोनों ही बड़े नेताओं को इस बात का ज़रा भी एहसास नहीं है कि वे जिस सरकार को गिराने के लिए अलग-अलग नेताओं की पीठ थपथपाने में लगे हुए हैं, वह मध्य प्रदेश की जनता के वोटों से चुनी गई सरकार थी। और उस सरकार को गिराने की साज़िश में शामिल होना शर्म की बात होनी चाहिए, फख़्र की नहीं।