छिंदवाड़ा। मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में किडनी फेल होने से बच्चों की मौत का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ला पर सवाल उठाया कि जब रिपोर्ट ही नहीं आई है तो दवा कंपनी को क्लीन चिट कैसे दी गई। बच्चों में किडनी की बीमारी के अब तक 15 से ज्यादा केस सामने आ चुके हैं जिनमें से 7 बच्चों की मौत हो चुकी है। शुरुआती मेडिकल जांच में आशंका जताई गई कि बच्चों की किडनी फेल होने के पीछे दूषित कफ सिरप जिम्मेदार है।

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मंत्री ने सिरप का बचाव किया
प्रदेश के उपमुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ला ने बयान दिया कि बच्चों की मौत के पीछे कफ सिरप जिम्मेदार नहीं है। उन्होंने कहा कि जब तक आईसीएमआर और नागपुर संस्थान की रिपोर्ट नहीं आती है तब तक किसी निष्कर्ष पर पहुंचना जल्दबाजी होगी। साथ ही उन्होंने लोगों से अपील की कि अफवाहों पर ध्यान न दें।

स्वास्थ्य मंत्री के इस बयान ने विवाद खड़ा कर दिया है। कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने सवाल उठाया कि जब रिपोर्ट ही नहीं आई है तो दवा कंपनी को क्लीन चिट कैसे दी गई। उन्होंने आरोप लगाया कि इसमें कमीशनखोरी की बू आ रही है। कांग्रेस ने यह भी आरोप लगाया कि जिस कलेक्टर ने कफ सिरप पर बैन लगाया था उसे तत्काल हटा दिया गया। मसूद ने कहा कि भाजपा सरकार उन अधिकारियों को हटाती है जो भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने की कोशिश करते हैं।

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दरअसल, बीते 24 अगस्त को बच्चों में तेज बुखार और पेशाब बंद होने जैसी संदिग्ध समस्याएं सामने आईं और 7 सितंबर को पहली मौत दर्ज की गई। हालात बिगड़ने पर कई बच्चों को नागपुर रेफर किया गया, लेकिन 7 बच्चों ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। जांच में सामने आया कि जिन बच्चों की किडनी फेल हुई, उनमें से अधिकतर को Coldrif और Nextro-DS कफ सिरप दिया गया था। बायोप्सी रिपोर्ट में किडनी में टॉक्सिन मीडियेटेड इंजरी की बात सामने आई। जिसमें डायएथिलीन ग्लायकॉल कंटेमिनेशन को जिम्मेदार माना गया।

बिगड़ते हालात को देखते हुए छिंदवाड़ा कलेक्टर ने तुरंत Coldrif और Nextro-DS जैसी कफसिरप की बिक्री पर रोक लगाई और डॉक्टरों व अभिभावकों को एडवाइजरी जारी की। बच्चों के ब्लड सैंपल पुणे की लैब भेजे गए। वहीं जिन गांवों से केस सामने आए वहां पानी की भी जांच कराई गई लेकिन पानी में कोई संक्रमण नहीं मिला। इससे साफ हुआ कि मामला दवा से जुड़ा हो सकता है।