भोपाल। भाजपा सरकार न सिर्फ महिला सुरक्षा में फ़ेल है,  बल्कि पीड़ित और उनके परिवार से मानवीय व्यवहार करने में भी असमर्थ है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने यह टिप्पणी भोपाल के बालिका गृह में रहने वाली यौन शोषण कांड की पीड़ित लड़की की संदिग्ध हालात में हुई मौत और फिर उसके अंतिम संस्कार में हड़बड़ी दिखाए जाने की ख़बरों पर की है। जाहिर है मध्य प्रदेश की इस वारदात ने अब एक बड़े राजनीतिक मुद्दे का रूप ले लिया है। सवाल यह भी उठ रहे हैं कि हर सरकारी कार्यक्रम से पहले बेटियों की पूजा का एलान करने वाली शिवराज सरकार के राज में क्या बेटियां बालिका गृहों से लेकर सड़कों तक कहीं भी सुरक्षित नहीं हैं?

राहुल गांधी ने भोपाल में नाबालिग पीड़िता मौत के मामले की तुलना यूपी के हाथरस कांड से भी कर दी है। उन्होंने लिखा है, “हाथरस जैसी अमानवीयता कितनी बार दोहरायी जाएगी? भाजपा सरकार महिला सुरक्षा में तो फ़ेल है ही, पीड़िताओं और उनके परिवार से मानवीय व्यवहार करने में असमर्थ भी है।”


 

मध्य प्रदेश के कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री पी सी शर्मा ने भी इस घटना को हाथरस से जोड़ते हुए शिवराज सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने ट्विटर पर लिखा है, “हाथरस उप्र भाजपा सरकार, भोपाल मप्र भाजपा सरकार..... जहाँ भाजपा वहाँ वहाँ बेटियां सुरक्षित नहीं है यह एक बार फिर साबित हुआ है॥ शर्म करो, शर्म करो............ “

मध्य प्रदेश कांग्रेस ने तो एक कदम आगे बढ़ते हुए कहा है कि “भोपाल रेप पीड़िता का अंतिम संस्कार भी बलात्कार जैसा ही था।”

दरअसल विपक्ष भोपाल की घटना को हाथरस से जोड़कर इसलिए देख रहा है, क्योंकि हाथरस कांड में यूपी पुलिस पर बेहद हड़बड़ी दिखाते हुए रातों-रात पीड़िता का जबरन अंतिम संस्कार करने के आरोप लगे थे। कुछ वैसे ही आरोप प्यारे मियाँ यौन शोषण कांड की पीड़ित नाबालिग लड़की की मौत के बाद उसके अंतिम संस्कार करने को लेकर भी लग रहे हैं।

आरोप है कि भोपाल के बालिका गृह में रहने वाली प्यारे मियाँ यौन शोषण कांड की पीड़ित लड़की ने जब अस्पताल में कई दिनों तक मौत से जूझने के बाद दम तोड़ा तो पुलिस ने उसके शव को घर तक ले जाने की इजाज़त भी नहीं दी। मीडिया में आई ख़बरों के मुताबिक़ पुलिस ने दबाव डालकर आनन-फ़ानन में उसका अंतिम संस्कार करवा दिया, जबकि उसके परिजन इतनी जल्दबाज़ी में अंतिम संस्कार नहीं करना चाहते थे। ऐसी ख़बरें भी आईं कि मॉर्चुरी में पीड़िता के पिता शव को घर ले जाने के लिए गुहार लगाते रहे लेकिन पुलिस नहीं मानी। नाबालिग लड़की प्यारे मियाँ यौन शोषण कांड की पीड़िता और फरियादी थी, आरोपी नहीं। फिर भी पुलिस शव को हमीदिया अस्पताल से सीधे श्मशान ले गई।

ख़बरों के मुताबिक पीड़िता की मां और परिजन घर पर बेटी के शव का इंतजार करते रहे, लेकिन पुलिस उन्हें शव सौंपना ही नहीं चाहती थी। बाद में पुलिस ही परिजनों को श्मशान तक ले गई। विश्राम घाट पर पुलिस ने पूरी व्यवस्था कर रखी थी। बताया जा रहा है कि महिला रिश्तेदारों ने दो बार अर्थी तैयार होने से रोकने की कोशिश भी की, पर क्राइम ब्रांच की टीम ने खुद इसे तैयार किया। आख़िरकार पुलिस की निगरानी में दोपहर 1:30 बजे उसका भदभदा विश्राम घाट पर अंतिम संस्कार कर दिया गया।

हालाँकि भोपाल पुलिस दावा कर रही है कि सब कुछ पीड़िता के परिजनों की सहमति से हुआ है, लेकिन मीडिया में आ रही ख़बरों से पुलिस के इन दावों पर सवाल उठ रहे हैं। संदेह का माहौल इसलिए भी बना हुआ है क्योंकि पीड़िता के बालिका गृह में नींद की गोलियाँ खाकर बीमार पड़ने की खबरों से लेकर अस्पताल में दम तोड़ने तक का सारा घटनाक्रम तरह-तरह के सवालों में घिरा रहा है।

इस पूरे प्रकरण ने एक बड़े सियासी मुद्दे की शक्ल अख़्तियार कर ली है। कांग्रेस इस मामले की तुलना जिस तरह यूपी के हाथरस कांड में पीड़िता के पुलिस द्वारा किए गए जबरन शवदाह से की है, उससे साफ है कि अब इस विवाद की गूंज सिर्फ मध्य प्रदेश में ही नहीं, पूरे देश में सुनाई देने लगी है।