भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल स्थित चर्चित 90 डिग्री ऐशबाग ब्रिज पर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि ब्रिज निर्माण के लिए ठेकेदार को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। न्यायालय ने ठेका कंपनी को ब्लैक लिस्ट करने के फैसले को वापिस लेने के भी निर्देश दिए हैं। 

यह सुनवाई गुरुवार को हुई। इस दौरान कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा, "बली का बकरा तो बाहर हो गया, अब किसी न किसी का सिर तो कटेगा" इसके साथ ही मध्य प्रदेश सरकार से इस मामले की रिपोर्ट भी पेश करने को कहा है। चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा व न्यायमूर्ति विनय सराफ की बेंच ने बताया कि जब निर्माण विभाग की ड्राइंग के अनुसार किया गया, तो ठेकेदार को दोषी नहीं ठहराया जा सकता।

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याचिकाकर्ता मेसर्स पुनीत चड्ढा की ओर से दायर इस याचिका में कहा गया था कि जो ड्राइंग पीडब्ल्यूडी विभाग के अनुसार मिली, निर्माण उसी हिसाब से हुआ। वहीं 25 अगस्त को कोर्ट ने निष्पक्ष जांच की जिम्मेदारी मैनिट के सीनियर प्रोफेसर डॉ. एमएस होरा, प्रो. डॉ. नितिन डिंडोरकर, प्रो. डॉ. एस के कटियार, प्रो. डॉ. पीके अग्रवाल सहित असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. प्रियमित्र मुनोथ को दी है। इस केस की अगली सुनवाई 28 अक्टूबर तक बढ़ाई गई है तब तक ब्लैकलिस्टिंग पर रोक बरकरार रहेगी।