मैहर। मध्य प्रदेश के विश्वप्रसिद्ध मां शारदा धाम मैहर में चढ़ावे से जुड़े मामले ने बड़ा मोड़ ले लिया है। प्रारंभिक जांच और CCTV फुटेज में यह सामने आया है कि 2 किलो चांदी का छत्र, चांदी का मुकुट और सोने की नथ मंदिर के कोष में जमा ही नहीं की गई थीं। बल्कि यह सामान सीधे पुजारी के कब्जे में चला गया था। फुटेज सामने आने के बाद आरोपित पुजारी ने यह कीमती चढ़ावा वापस समिति को सौंप दिया जिसके बाद मंदिर प्रबंधन ने उन्हें नोटिस जारी कर कठोर कार्रवाई के संकेत दिए हैं।

बीते 22 अक्टूबर को जबलपुर निवासी व्यवसायी संजय पटेल मां शारदा के दरबार में चांदी-सोने के कीमती आभूषण लेकर पहुंचे थे। भक्त का आरोप है कि उन्होंने चढ़ावा पुजारी सुमित महाराज को सौंपा था लेकिन रसीद नहीं दी गई। एक सप्ताह तक रसीद न मिलने पर उन्होंने 30 अक्टूबर को कलेक्टर से इसकी शिकायत की। शिकायत के बाद प्रशासन ने CCTV फुटेज और कोषालय रिकॉर्ड की जांच शुरू की।

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प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार 2:55 बजे की फुटेज में भक्त द्वारा लाया गया प्लास्टिक बैग सीधे पुजारी के पास जाता दिखा। मंदिर समिति का कहना है कि यह सामग्री मंदिर कोष में दर्ज नहीं गई थी। रजिस्टर खंगालने पर भी 22 से 28 अक्टूबर के बीच आभूषणों का कोई रिकॉर्ड नहीं मिला। यही वह पॉइंट था जिसने मंदिर प्रशासन को मामले की गंभीरता समझने पर मजबूर कर दिया।

CCTV और जांच रिपोर्ट का हवाला देते हुए मंदिर प्रबंधन ने प्रधान पुजारी पवन महाराज और संबंधित पुजारियों को नोटिस जारी किया। नोटिस मिलते ही पुजारी ने दावा किया कि भक्त ने आग्रह किया था कि चढ़ावा एक सप्ताह तक माता के चरणों में रखा जाए। हालांकि, फुटेज और रजिस्टर के मेल न खाने के बाद पुजारी ने 28 अक्टूबर के दिनांक के साथ दर्ज दिखाए गए सभी आभूषण वापस कोष में जमा कर दिए। समिति का कहना है कि सामग्री लौटाने का समय और फुटेज में दिखी गतिविधियां कई गंभीर सवाल खड़े करती हैं।

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समिति ने नोटिस में साफ लिखा है कि शुरुआती जांच से यह संकेत मिलता है कि संभवतः यह पहली बार नहीं हुआ है। कई अन्य बहुमूल्य वस्तुएं भी समय पर समिति तक नहीं पहुंची हों इसकी आशंका जताई गई है। समिति ने इसे धार्मिक आस्था पर सीधा प्रहार और मंदिर की गरिमा को क्षति पहुंचाने वाला कृत्य बताया है।

मंदिर प्रशासक और SDM दिव्या पटेल ने बताया कि सभी संबंधित कर्मचारियों को नोटिस दिए गए थे और उनके जवाब मिल चुके हैं। उन्होंने स्वीकार किया कि CCTV फुटेज जांच का महत्वपूर्ण हिस्सा है और आगे की कार्रवाई इन्हीं साक्ष्यों के आधार पर तय होगी। घटना के उजागर होते ही भक्त समुदाय में भारी आक्रोश है। लोगों का कहना है कि इतने बड़े शक्ति पीठ में चढ़ावे की सुरक्षा पर सवाल उठना गंभीर लापरवाही है। सोशल मीडिया पर भी सुरक्षा व्यवस्था और दान प्रबंधन प्रणाली को डिजिटल और पारदर्शी बनाने की मांग उठ रही है।

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पुजारी द्वारा वस्तुएं लौटाए जाने के बावजूद जांच जारी है। समिति का रुख साफ है कि यदि जवाब संतोषजनक नहीं हुआ तो कानूनी कार्रवाई और निलंबन तक की कार्यवाही की जा सकती है। साथ ही पिछले महीनों के सभी दान रिकॉर्ड की भी पुनः जांच शुरू हो चुकी है ताकि किसी और गड़बड़ी की पुष्टि हो सके।