भोपाल। मध्य प्रदेश सरकार ने सात महीने बाद वर्क फ्रॉम होम की व्यवस्था पूरी तरह से खत्म कर दी है। सरकार के इस फैसले के बाद अब प्रदेश के सभी कर्मचारियों के लिए दफ्तर से काम करना अनिवार्य होगा। राज्य सरकार ने कर्मचारियों के लिए नए दिशा-निर्देश भी जारी किए हैं। जिनके तहत कर्मचारी अपने किसी सहकर्मी से न तो हाथ मिला सकते हैं और न ही साथ बैठकर चाय-नाश्ता कर सकते हैं।
कोरोना संक्रमण काल में पिछले सात महीनों से घर बैठे काम कर रहे मध्य प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों को त्योहारों के सीजन में बड़ा झटका लगा है। राज्य सरकार ने अनलॉक-5.0 के तहत गुरुवार से प्रदेश भर के सभी सरकारी दफ्तरों में वर्क फ्रॉम होम की व्यवस्था को तत्काल प्रभाव से खत्म करते हुए शत प्रतिशत उपस्थिति को अनिवार्य कर दिया है। सरकार ने इस आदेश के साथ मुख्य रूप से कर्मचारियों को कहा है कि किसी भी स्थिति में कोई कर्मचारी कार्यालय में अपना मास्क नहीं उतार सकता।
इन दिशा-निर्देशों का पालन करना अनिवार्य
सरकारी दिशा-निर्देश के मुताबिक कार्यालय के अंदर सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन व रेग्युलर सैनिटाइजेशन अनिवार्य होगा। प्रदेश सरकार ने कोविड-19 संबंधी कोई भी लक्षण जैसे कि सर्दी, जुकाम, खांसी, बुखार, सांस लेने में तकलीफ आदि होने पर तत्काल फीवर क्लीनिक में परीक्षण कराना अनिवार्य कर दिया है। इसके अलावा सभी कर्मचारियों को लगातार हाथ धोते रहने और हैंड सैनिटाइजर का उपयोग करने का निर्देश भी दिया गया है।
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अब तक मात्र 50 फीसदी कर्मचारी दफ्तर आ रहे थे
मध्य प्रदेश के सरकारी कार्यालयों में अबतक मात्र 50 फीसदी कर्मचारी ही दफ्तर आ रहे थे। इन्हें बारी-बारी से बुलाया जा रहा था और बाकी लोग घर से काम कर रहे थे। पिछले कुछ दिनों से विभिन्न विभागों द्वारा लगातार कार्यक्षमता बढ़ाने की मांग की जा रही थी जिसे देखते हुए सरकार ने अब सभी कर्मचारियों को दफ्तर बुलाने का फैसला किया है। सरकार के इस फैसले निर्णय से प्रदेश के तकरीबन साढ़े चार लाख कर्मचारी प्रभावित होंगे।