Shivraj Chouhan : सीएम की सभा हुई निरस्त, सुप्रीम कोर्ट जाएंगे शिवराज सिंह चौहान
MP High Court Order: हाईकोर्ट के आदेश के मुताबिक वर्चुअल मीटिंग न हो सके, तभी चुनाव आयोग दे सकता है रैलियों की इजाजत

भोपाल। मध्यप्रदेश हाइकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने राजनीतिक रैलियों में कोविड-19 दिशानिर्देशों का पालन न किए जाने को लेकर नाराजगी जताई है। कोर्ट ने उपचुनाव को लेकर सभी चुनावी सभाओं पर रोक लगा दी है। हाइकोर्ट के इस निर्णय के बाद सीएम शिवराज सिंह चौहान को आज अपनी दो सभाओं को निरस्त करना पड़ा है। शिवराज ने कहा है कोर्ट का यह फैसला एक देश दो विधान जैसा है।
कोर्ट के फैसले पर शिवराज ने कहा, 'आज अशोकनगर के शाडोरा और भांडेर के बराच में मेरी सभाएं थीं, मैं वहां के नागरिकों से क्षमा मांगता हूं, हमने आज दोनो सभाएं निरस्त की है। माननीय उच्च न्यायालय की ग्वालियर बेंच ने एक फैसला दिया है जिसके तहत चुनावी रैली या सभाएं आयोजित नहीं की जा सकती है या चुनाव आयोग की अनुमति से ही आयोजित की जा सकती हैं।'
आज शाडोरा और बराच में मेरी सभाएँ थीं, मैं वहाँ के नागरिकों से क्षमा मांगता हूँ, हमने आज वो सभाएँ निरस्त की हैं। माननीय उच्च न्यायालय की ग्वालियर बेंच ने एक फैसला दिया है जिसके तहत चुनावी रैली या सभाएँ आयोजित नहीं की जा सकती हैं या चुनाव आयोग की अनुमति से ही आयोजित की जा सकती हैं। pic.twitter.com/su4JByRDNl
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) October 22, 2020
सीएम ने आगे कहा कि, 'मैं इस फैसले का सम्मान करता हूँ लेकिन इस फैसले के संबंध में हम माननीय सर्वोच्च न्यायालय जा रहे हैं। एक असमंजस की स्थिति बन गई है, मध्यप्रदेश के एक हिस्से में सभाएं हो सकती हैं, और दूसरे हिस्से में नहीं हो सकती। यह एक देश में दो विधान जैसी स्थिति है। बिहार में भी चुनावी रैलियां हो रही है। मुझे पूरा विश्वास है कि सर्वोच्च न्यायालय में हमें न्याय मिलेगा। आज दोनों जगहों के भाइयों से क्षमाप्रार्थी हूं, लेकिन जल्द आऊंगा और सभा को संबोधित करूंगा।'
बता दें कि बुधवार को मध्यप्रदेश की ग्वालियर हाईकोर्ट की डबल बेंच ने दतिया के भांडेर में कमलनाथ और ग्वालियर में नरेंद्र तोमर की रैली को अपने आदेश का आधार बनाते हुई रैलियों पर रोक लगाने का आदेश दिया। जस्टिस शील नागू और जस्टिस राजीव कुमार श्रीवास्तव की बेंच ने आदेश में कहा- राजनीतिक दलों की वर्चुअल मीटिंग अगर नहीं हो पा रही है तो ही सभा और रैलियां हो सकेंगी। इसके लिए चुनाव आयोग की इजाजत लेनी होगी।
कलेक्टर जनसभाओं की अनुमति सीधे तौर पर नहीं दे पाएंगे
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि अब फिजिकल जनसभाओं के लिए कलेक्टर सीधे तौर पर अनुमति नहीं दे पाएंगे। जनसभा के लिए आदेश जारी करने से पहले कलेक्टरों को चुनाव आयोग की अनुमति अनिवार्य रूप से लेनी होगी। कोर्ट ने कहा है कि अगर किसी प्रत्याशी को वर्चुअल मीटिंग की जगह फिजिकल रैली करनी है तो इसके लिए उसे कलेक्टर को वाज़िब कारण बताना होगा। अगर कलेक्टर उम्मीदवार के तर्कों से संतुष्ट होते हैं तो प्रत्याशियों को रैली करने की इजाज़त देने के लिए पहले कलेक्टरों को आदेश जारी करने के लिए चुनाव आयोग से अनुमति लेनी होगी।
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में ये भी कहा है कि सभा में जितने लोगों को शामिल होने की मंजूरी मिलेगी, उतने लोगों के मास्क और सैनिटाइजर पर होने वाले खर्च की दोगुनी रकम उम्मीदवारों को कलेक्ट्रेट में जमा करानी होगी। एक शपथ पत्र भी देना होगा, जिसमें सभा की मंजूरी लेने वाले को उसमें शामिल होने वाले हर व्यक्ति को मास्क और सैनेटाइजर उपलब्ध कराए जाने की जवाबदेही लेनी होगी।
कोर्ट ने कहा था कि संविधान ने उम्मीदवार और मतदाता दोनों को अधिकार दिए हैं। उम्मीदवार को चुनाव प्रचार का अधिकार है तो लोगों को स्वस्थ रहने का अधिकार है। लोगों के स्वस्थ रहने का अधिकार उम्मीदवार के अधिकार से बड़ा है। अदालत ने ये भी कहा था कि राजनीतिक दलों की सभाओं में सुरक्षित शारीरिक दूरी समेत कई नियमों का पालन नहीं हो रहा है।