जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में OBC आरक्षण को लेकर याचिकाओं पर सोमवार को सुनवाई हुई। हाईकोर्ट ने 27 फीसदी आरक्षण पर रोक बरकरार रखी है। फिलहाल मध्यप्रदेश में 14 फीसदी आरक्षण ही रहेगा। आरक्षण मामले की अगली सुनवाई 9 दिसंबर को होगी। कोर्ट में बढ़े हुए अन्य पिछड़ा वर्ग आरक्षण को लेकर दायर सभी याचिकाओं पर सुनवाई हुई। जिसमें प्रदेश सरकार की ओर से जानकारी दी गई है कि सरकार राज्य में आबादी के हिसाब से ओबीसी रिजर्वेशन देने के मूड में है।

इस मामले में याचिकाकर्ता ने आपत्ति दर्ज करवाई। कोर्ट ने कहा कि हाल ही में मराठा आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट के 3 जजों की बेंच ने निर्णय दिया है कि किसी भी लिहाज से आबादी के हिसाब से आरक्षण नहीं दिया जा सकता। वर्ष 1993 में इंदिरा साहनी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया था कि आबादी के हिसाब से रिजर्वेशन नहीं दिया जा सकता है।

आपको बता दें कि तत्कालीन कमलनाथ सरकार ने अन्य पिछड़ा वर्ग का आरक्षण 14% से बढ़ाकर 27% आरक्षण किया था। जिसे कई वर्गों ने मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। 

आपको बता दें कि मध्यप्रदेश में अनुसूचित जाति को 16%, अनुसूचित जनजाति को 20%, अन्य पिछड़ा वर्ग को 14% रिजर्वेशन मिल रहा है। ओबीसी आरक्षण 27 फीसदी करने के बाद प्रदेश में कुल आरक्षण की सीमा 63 फीसदी हो गई थी। जिसे कोर्ट में चुनौती दी गई थी। उपचुनाव के एक दिन पहले कोर्ट का यह फैसला क्या असर दिखाएगा यह देखने वाली बात होगी। कांग्रेस ने ओबीसी को अवसर देने के लिए आरक्षण बढ़ाया था।