नई दिल्ली। भारत में नक्सलवाद के खिलाफ केंद्र सरकार के अभियान ने पिछले 48 घंटों में ऐतिहासिक सफलता हासिल की है। छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में कुल 258 खतरनाक नक्सलियों ने हथियार डालकर आत्मसमर्पण किया और समाज की मुख्यधारा में लौट आ चुके हैं। इसके साथ ही देशभर में नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा बलों की सक्रिय कार्रवाइयों का असर दिख रहा है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इस उपलब्धि को ऐतिहासिक बताया और कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार नक्सलवाद को जड़ से समाप्त करने के लिए निरंतर काम कर रही है। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ में अबूझमाड़ और उत्तरी बस्तर, जो कभी नक्सलियों के गढ़ माने जाते थे, अब पूरी तरह नक्सली आतंक से मुक्त घोषित किए जा चुके हैं। गृह मंत्री ने स्पष्ट किया कि सरकार की नीति पारदर्शी है और जो नक्सली आत्मसमर्पण करना चाहते हैं, उनका स्वागत है। जबकि जो बंदूक चलाना जारी रखेंगे उन्हें सुरक्षा बलों का सामना करना पड़ेगा।
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अमित शाह ने हालिया आंकड़े साझा करते हुए बताया कि छत्तीसगढ़ में जनवरी 2024 से अब तक 2,100 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया, 1,785 को गिरफ्तार किया गया और 477 नक्सलियों का सफाया किया गया है। उन्होंने इसे नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई का ऐतिहासिक क्षण बताया और कहा कि सरकार का लक्ष्य 31 मार्च 2026 तक पूरे देश से नक्सलवाद को समाप्त करना है। उन्होंने आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों की हिम्मत की सराहना करते हुए कहा कि यह इस बात का प्रमाण है कि नक्सलवाद अब अपनी अंतिम सांसें ले रहा है।
साथ ही केंद्रीय गृह मंत्री ने यह भी कहा कि नक्सलियों का आत्मसमर्पण भारत के संविधान और लोकतांत्रिक व्यवस्था पर विश्वास को दर्शाता है और यह संकेत है कि हिंसा का रास्ता छोड़कर मुख्यधारा में लौटना ही भविष्य का रास्ता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार संवाद, सुरक्षा और समन्वय के माध्यम से नक्सलवाद को जड़ से उखाड़ फेंकने की दिशा में लगातार काम कर रही है।
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बीते दिनों भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) की केंद्रीय समिति और पोलित ब्यूरो के सदस्य मल्लोजुला वेणुगोपाल राव उर्फ भूपति और उनके 60 सहयोगियों ने आत्मसमर्पण किया था। इनका आत्मसमर्पण नक्सलवाद के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। सुरक्षा एजेंसियां इसे संगठन के रणनीतिक नुकसान के रूप में देख रही हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि भूपति की सलाह पर नक्सलियों की कई रणनीतियां बनती थीं। आत्मसमर्पण के कुछ दिनों पहले भूपति ने सरकार से एक महीने की सीजफायर की मांग की थी। जिससे संगठन में फूट पड़ी और अंततः वे और उनके सहयोगी हथियार डालने को मजबूर हुए।
देश में नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या अब 18 से घटकर 11 रह गई है और सबसे अधिक प्रभावित जिलों की संख्या छह से तीन हो गई है। अब केवल छत्तीसगढ़ के बीजापुर, सुकमा और नारायणपुर ही ऐसे जिले हैं जहां नक्सली गतिविधियां सबसे अधिक हैं। गृह मंत्रालय का कहना है कि यह कदम केंद्र सरकार द्वारा मार्च 2026 तक देश को नक्सल मुक्त बनाने की दिशा में बड़ा कदम है।
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साल 2024 से लेकर अब तक नक्सल विरोधी अभियानों में रिकॉर्ड सफलता भी मिली है। इस दौरान 312 नक्सली मारे गए, 836 कैडर गिरफ्तार हुए और 1,639 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है। सुरक्षा बलों ने 21 मई को छत्तीसगढ़ में नंबाला केशव राव उर्फ बसवराजू को मार गिराकर नक्सलियों की कमर तोड़ दी थी। इसके बाद संगठन में नेतृत्व की खामी और मतभेद पैदा हुई। जिसकी वजह से आत्मसमर्पण की प्रक्रिया तेज हो गई।
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