नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री सुरेश गोपी ने अपने ताजा बयान से केरल की राजनीति में हलचल पैदा कर दी है। फिल्मों में लंबे समय तक सक्रिय रहे सुरेश गोपी को जनता ने बतौर सांसद चुना। इसके बाद मोदी सरकार में उन्हें मंत्री बना दिया गया। लेकिन राजनीति उन्हें रास नहीं आ रही है। मंत्री बनने से पूर्व उन्होंने जितनी आमदनी की कल्पना की थी वो शायद नहीं हो पाई। ऐसे में उन्होंने मंत्री पद छोड़ने की पेशकश की है।
केंद्रीय मंत्री और अभिनेता सुरेश गोपी ने कहा कि उन्होंने कभी मंत्री बनने की प्रार्थना नहीं की थी और उनका असली सपना फिल्मों में काम जारी रखना ही था। कन्नूर जिले में सुरेश गोपी ने बताया कि चुनाव से एक दिन पहले जब वे पत्रकारों से बात कर रहे थे, तभी उन्होंने साफ कर दिया था कि उन्हें मंत्री पद की इच्छा नहीं है।
उन्होंने कहा, 'मैं सिर्फ अपना फिल्मी करियर जारी रखना चाहता था। मंत्री बनने में कई तरह की मुश्किलें आती हैं। मैं एक्टिंग कर के कमाना चाहता हूं, क्योंकि मेरे बच्चे अभी कहीं स्थिर नहीं हुए हैं और कुछ लोग मेरी कमाई पर निर्भर हैं। उनकी मदद करने के लिए मेरा आय का स्रोत बंद नहीं होना चाहिए… लेकिन अभी लगभग बंद हो चुका है।'
उन्होंने पार्टी में अपने जुड़ाव को याद करते हुए बताया कि उन्होंने 28 अक्तूबर 2016 को जल्दबाजी में पार्टी की सदस्यता ली थी। उस वक्त पार्टी की ओर से छह महीने के अंदर सदस्य बनने का कहा गया था। सुरेश गोपी ने कहा कि उन्हें मंत्री पद इसलिए मिला क्योंकि वे केरल से जनता द्वारा चुने गए पहले सांसद हैं और पार्टी ने इस जनादेश का सम्मान किया।
उन्होंने आगे कहा, 'अगर मुझे इस पद से मुक्त कर दिया जाए और सी. सदानंदन मास्टर को मंत्री बनाया जाए, तो मैं मानता हूं कि यह केरल की राजनीति में एक नया अध्याय होगा।' केंद्रीय मंत्री सुरेश गोपी का यह बयान ऐसे समय में आया है जब राज्य की राजनीति में नए समीकरणों और बदलाव की चर्चाएं तेज हैं। उनका यह कहना कि वे मंत्री पद छोड़ने को तैयार हैं और दूसरों के लिए रास्ता खोलना चाहते हैं, पार्टी के भीतर भी एक अहम संकेत माना जा रहा है।