दिल्ली। एम्स के डायरेक्टर डाक्टर रणदीप गुलेरिया ने संकेत दिए हैं कि अगर सब कुछ ठीक रहा तो भारत में इस साल सितंबर से बच्चों को कोरोना वैक्सीन की खुराक देने की शुरुआत की जा सकती है। उनका कहना है कि कोरोना की तीसरी लहर बच्चों के लिए ज्यादा खतरनाक है, इससे बचाने के लिए बच्चों का वैक्सीनेशन महत्वपूर्ण है। वैक्सीनेशन से कोरोना संक्रमण की चेन तोड़ने में आसानी होगी।

भारत में 6-12 साल की उम्र के बच्चों के टीकाकरण के लिए तेजी से ट्रायल किया जा रहा है। दिल्ली एम्स में बच्चों को बायोटेक की कोवैक्सीन की खुराक दी गई है। डाक्टर गुलेरिया ने उम्मीद जताई है कि इस ट्रायल का रिजल्ट सितंबर तक जारी हो सकता है।

उन्होंने कहा है कि बच्चों को कोवैक्सिन की दूसरी खुराक जुलाई के अंतिम सप्ताह में दी जाएगी। देश में Zydus Cadila का ट्रायल भी बच्चों पर किया जा रहा है। कोरोना की तीसरी लहर का खतरा मंडरा रहा है, देश में फिलहाल ट्रायल ही किया जा रहा है। अभी तक भारत में किसी भी दवा को बच्चों के वैक्सीनेशन के लिए मंजूरी नहीं दी गई है।

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मेडिकल जर्नल द लैंसेट की एक रिसर्च के अनुसार 11-17 साल के बच्चों के साथ रहने से संक्रमण का खतरा 18-30 प्रतिशत तक बढ़ जाता है। इससे बचने के लिए वैक्सीनेशन ही सबसे कारगर है। यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, कमजोर लोगों, बुजुर्गों और किसी बीमारी से पीड़ितों में संक्रमण का खतरा काफी बढ़ जाता है। यही वजह है कि बच्चों को स्कूल भेजने के बारे में चिंता जाहिर की जाती रही है। एम्स के डायरेक्टर ने उम्मीद जताई है कि सिंतबर तक बच्चों के लिए वैक्सीन उपलब्ध हो जाएगी। उसके बाद ही चरणबद्ध तरीके से स्कूल शुरू करना चाहिए। वैक्सीनेशन के बाद बच्चों को सुरक्षा मिलेगी और जनता में यह भरोसा होगा कि उनके बच्चे सुरक्षित हैं।

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वहीं यूरोप में भी बच्चों के वैक्सीनेशन का प्रक्रिया तेज होने वाली है। फाइजर को मंजूरी मिलने के बाद अब मॉडर्ना को भी 12-17 साल के बच्चों के टीकाकरण की मंजूरी मिल गई है। कोरोना की तीसरी लहर की वजह से सभी देश बच्चों को सुरक्षित करने के लिए प्रयास करने में जुटे हैं।