नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल आम आदमी के पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक चुन लिए गए हैं। रविवार को आम आदमी पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में केजरीवाल को राष्ट्रीय संयोजक चुन लिया गया। यह तीसरी मर्तबा है जब अरविंद केजरीवाल आप के संयोजक बने हैं। पार्टी के गठन के बाद से अरविंद केजरीवाल ही आम आदमी पार्टी के संयोजक पद पर रहे हैं। 

आम आदमी पार्टी के संविधान में इसी साल फेरबदल किया गया है। पार्टी के संविधान में पहले इस बात का स्पष्ट तौर पर उल्लेख था कि कोई भी व्यक्ति एक ही पद पर ज़्यादा से ज़्यादा दो लगातार कार्यकाल तक रहेगा। लेकिन इस नियम को पार्टी ने इस साल बदल दिया। इसी वजह से अरविंद केजरीवाल लगातार तीसरी दफा पार्टी के संयोजक बन पाए। 

अरविंद केजरीवाल के अलावा पंकज गुप्ता को आम आदमी पार्टी का सचिव बनाया गया है। इसके साथ ही आम आदमी पार्टी ने अपने राज्यसभा सांसद एनडी गुप्ता को कोषाध्यक्ष बनाया है। इन तीनों ही पदाधिकारियों का कार्यकाल पांच-पांच सालों का होगा। 

आम आदमी पार्टी का गठन नवंबर 2012 में हुआ था। पार्टी के गठन से पहले अन्ना हज़ारे के नेतृत्व में 2011 से आंदोलनों की शुरुआत हुई थी। जिसके बाद अक्टूबर 2012 में आम आदमी पार्टी के गठन की घोषणा हुई थी। दिल्ली में दिसंबर 2013 में जब चुनाव हुए तब 13 महीने पुरानी पार्टी ने दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों में 28 विधानसभा सीटों पर कब्ज़ा कर लिया। नतीजों के बाद अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस के बाहरी समर्थन से दिल्ली में सरकार बनाई। 

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लेकिन महज़ 49 दिनों के भीतर अरविंद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद आम आदमी पार्टी लोकसभा चुनावों में कूद पड़ी। 2014 में आम आदमी पार्टी ने 400 से भी अधिक सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े कर दिए। खुद अरविंद केजरीवाल ने वाराणासी से बीजेपी के तब के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के खिलाफ पर्चा भरा। उस समय आम आदमी पार्टी का हिस्सा रहे कुमार विश्वास ने अमेठी से राहुल गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ा।  

लेकिन चुनावी नतीजों में आदमी पार्टी पस्त हो गई। अरविंद केजरीवाल और कुमार विश्वास दोनों ही चुनाव हार गए। लोकसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी को चार सीटों पर जीत मिली। ये सभी सीटें पंजाब की थीं। लोकसभा चुनावों से आम आदमी पार्टी ने सबक लिया और खुद को दिल्ली तक सीमित कर लिया। लेकिन 2015 के विधानसभा चुनावों में 67 सीटों पर भारी जीत ने एक बार फिर आम आदमी पार्टी के अरमानों को पंख दे दिए।

 2017 के विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी ने पंजाब में चुनाव लड़ा। इसमें आम आदमी पार्टी सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी बनकर उभरी। अब अगले साल एक बार फिर पंजाब में विधानसभा चुनाव होने हैं। इसलिए आम आदमी पार्टी पंजाब को भुनाना चाहती है। वहीं गोवा पर भी आम आदमी पार्टी ने अपनी नज़रें गड़ा कर रखी हुई हैं।