नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट द्वारा कृषि कानूनों की समीक्षा के लिए कमेटी बनाने के बाद 15 जनवरी को होने वाली बैठक पर अनिश्चितता का माहौल है। इस बीच यह खबर है कि कृषि कानूनों पर किसानों से बातचीत के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी के एक सदस्य भूपिंदर सिंह मान ने खुद को कमेटी से अलग कर लिया है। मान ने कहा है कि वह किसानों के साथ हैं और उनके जज्बातों को देखते हुए कमेटी से अलग हुए हैं। मान ने खुद प्रेस रिलीज जारी कर यह बातें कही है।

भूपिंदर सिंह ने कहा, 'चार लोगों की कमेटी में मुझे जगह दी गई, इसके लिए मैं सुप्रीम कोर्ट को धन्यवाद देता हूं। लेकिन, एक किसान और यूनियन लीडर होने के नाते आम लोगों और किसानों की आशंकाओं को देखते हुए, मैं इस कमेटी से अलग हो रहा हूं। मैं पंजाब और किसानों के हितों से समझौता नहीं कर सकता हूं। इसके लिए मैं किसी भी पद को कुर्बान कर सकता हूं और हमेशा पंजाब के किसानों के साथ खड़ा रहूंगा।'

बता दें कि कृषि कानूनों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 12 जनवरी को चार सदस्यों की कमेटी बनाई थी। इसमें भूपेंद्र सिंह मान के अलावा इंटरनेशनल पॉलिसी एक्सपर्ट डॉ. प्रमोद कुमार जोशी, एग्रीकल्चर इकोनॉमिस्ट अशोक गुलाटी और शेतकरी संघटना, महाराष्ट्र के अनिल घनवट का नाम शामिल था। कोर्ट ने इससे पहले इन कानूनों के अमल में भी अग्रिम आदेश तक रोक लगा रखी है।

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सुप्रीम कोर्ट के कमेटी में भुपिंदर सिंह मान के नाम को लेकर शुरू से ही बवाल हो रहा था। किसान नेताओं का आरोप था कि वह सरकार के आदमी हैं और तीनों कानूनों का खुला समर्थन कर रहे हैं। हालांकि, इसपर मान ने कहा था कि, 'सुप्रीम कोर्ट ने कमेटी बनाई है और इस पर किसान संगठनों का सवाल उठाना गलत है। उन्होंने कहा था कि एक किसान होने के नाते मैं निष्पक्ष होकर अपनी बात सरकार के सामने रखूंगा।'