दिल्ली। केंद्र सरकार ने कोरोना महामारी के बीच शवों को गंगा और इसकी सहायक नदियों में फेंकने के मामले को संज्ञान में लिया है। केंद्र सरकार ने महत्वपूर्ण निर्देश जारी करते हुए उत्तर प्रदेश और बिहार से कहा है कि शवों को गंगा और इसकी सहायक नदियों में फेंकने पर रोक लगाई जाए और उनके सुरक्षित, सम्मानजनक अंतिम संस्कार पर जोर दिया जाए। यह निर्देश ऐसे समय दिया गया है जब हाल में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच नदियों में अनेक शव तैरते मिले थे।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यूपी के विभिन्न जिलों में 2000 हजार से अधिक शवों को गंगा नदी के किनारे दफना दिया गया था। इससे कोरोना का खतरा की आशंका जताई गई है। अधिकारियों का मानना है कि जिन लोगों ने कोरोना की वजह से दम तोड़ दिए हैं उनके परिजनों को अंतिम संस्कार के लिए जगह नही मिल पाई। केंद्र ने इसे अवांछनीय माना है।


दरअसल केंद्र सरकार ने 15-16 मई को एक समीक्षा बैठक की। इसमें कहा गया कि हाल ही में शवों, आंशिक रूप से जले और क्षत-विक्षत शव प्रवाहित करने के कई मामले सामने आए हैं। यह 'अनुचित और बेहद चिंताजनक' है।

जलशक्ति मंत्रालय की तरफ से सचिव पंकज कुमार ने कहा, 'नमामि गंगे (मिशन) राज्यों को गंगा में शवों को प्रवाहित करने पर रोक लगाने और उनके सुरक्षित निस्तारण और सम्मानजनक अंतिम संस्कार पर बल देने का निर्देश देता है।' इसके साथ ही राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों को स्वास्थ्य विभागों के साथ मिलकर बार-बार पानी की गुणवत्ता की निगरानी करने का निर्देश दिया गया है।


केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को संपूर्ण निगरानी, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों का मार्गदर्शन करने और इस विषय में उच्चस्तरीय मूल्यांकन करने का जिम्मा सौंपा गया है। मंत्रालय ने कहा कि अंतिम संस्कार के लिए सहयोग को उच्च प्राथमिकता देने की जरूरत है। साथ ही सरकारी आदेशों का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित करने की आवश्यकता है। ये सारे काम अविलंब किए जाएं। राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के महानिदेशक राजीव रंजन मिश्रा ने 11 मई को इस संबंध में जिलाधिकारियों को परामर्श जारी किया था।

इसके बाद नदियों में शवों को फेंके जाने से रोकने तथा कोरोना संक्रमण के मरीजों के शवों का अंतिम संस्कार पर्यावरण दिशानिर्देशों के अनुसार सुनिश्चित करने के लिए मुख्य सचिवों को पत्र लिखा गया। जलशक्ति मंत्रालय के सचिव पंकज कुमार की अध्यक्षता में 15 मई को हुई बैठक में इस संबंध में उत्तर प्रदेश और बिहार की ओर से उठाए गए कदमों की समीक्षा की गई. साथ ही आगे की कार्रवाई के बिंदुओं पर फैसला किया गया।