दिल्ली। पंजाब, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ में कोरोना वैक्सीन की कमी का मामला सामने आय़ा है। जिसकी वजह से कई जगहों पर वैक्सीनेशन का काम धीमा हो गया है। छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर में कोविड वैक्सीन का स्टॉक खत्म होने से टीकाकरण बंद कर दिया गया है। अंबिकापुर के मैनपाट, बतौली, उदयपुर, लुंड्रा ब्लाक में वैक्सीन का स्टॉक खत्म हो चुका है।

 वहीं एनसीपी नेता और लोकसभा सांसद सुप्रिया सुले का दावा है कि महाराष्ट्र के पुणे में बुधवार को वैक्सीन खत्म होने  के कारण 109 वैक्सीनेशन सेंटर बंद किए गए हैं। इसी तरह के मामले पंजाब में भी सामने आए हैं। वैक्सीन की कमी के बारे में केंद्र को जानकारी दी गई। तीनों प्रदेशों में कोरोना वैक्सीन की कमी की शिकायत करना केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन को नागवार गुजरा। जिसके बाद उन्होंने महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ सरकारों की खिंचाई की है। वहीं कम वैक्सीनेशन वाले राज्यों पंजाब और दिल्ली पर भी सवाल खड़े किए हैं। स्वास्थ्य मंत्री का दावा है कि देश में कहीं भी वैक्सीन की कोई कमी नहीं है।

 केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डाक्टर हर्षवर्धन का आरोप है कि महाराष्ट्र सरकार की गलतियों की वजह से राज्य में हालात बेकाबू हो रहे हैं। उन्होंने महाराष्ट्र सरकार पर उनकी अपनी गलतियां छुपाने का आरोप भी लगाया है। उन्होंने यहां तक कहा है कि वैक्सीन कमी की बताकर राजनीतिक रूप से लोगों को डराने का काम किया जा रहा है।

 

उन्होंने छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री के उस बयान पर भी आपत्ती जताई जिसमें छत्तीसगढ़ में कोवैक्सिन नहीं लगाने की बात कही गई थी। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री का आऱोप है कि छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्यमंत्री की मंशा टीकाकरण के बारे में गलतफहमी फैलाना और लोगों में इसके प्रति घबराहट फैलाना है। छत्तीसगढ़ सरकार पर आरोप मढ़ते हुए उन्होंने कहा है कि इससे कोरोना के खिलाफ चल रही लड़ाई कमजोर हुई है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि टीकाकरण के बारे में सबसे जरूरी बात यह है कि इसका उपयोग मृत्यु दर कम करने के लिए उपयोग किया जा रह है। बता दें कि यही वजह है कि भारत में वैक्सीनेशन में सबसे पहले हेल्थ केयर वर्कर्स और फ्रंटलाइन वर्कर्स को टीका लगाया गया। फिर 65 साल से ज्यादा के बुजुर्गों और अब 45 से ज्यादा के लोगों को टीका लगाया जा रहा है। 18 साल तक के लोगों को के लिए राज्यों में वैक्सीन की मांग पर उन्होंने कहा कि प्राथमिकता तय करना जरूरी है ताकि डेथ रेट कम की जा सके। वैक्सीन अभी सीमित मात्रा में है। इसलिए प्राथमिकता के आधार पर दी जा रही है।