नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल से कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष अधीर रंजन चौधरी ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला को पत्र लिखकर तुरंत संसद का शीतकालीन सत्र बुलाने की मांग की है। चौधरी ने लोकसभा अध्यक्ष को चिट्ठी लिखकर कहा है कि इस समय देश में आंदोलनरत किसानों की समस्या बड़ी है जिसे लेकर सांसदों की मौजूदगी में चर्चा की जानी चाहिए। 



विपक्ष के नेता ने इसके अलावा देशभर में  कोरोना वायरस संक्रमण और इसके वैक्सीन की तैयारी, आर्थिक मंदी और बेरोजगारी जैसे अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर सदन में तुरंत चर्चा कराने की जरूरत बताई है। गुरुवार को स्पीकर को भेजी गई चिट्ठी में चौधरी ने लिखा, 'इस वक्त देश में बहुत सारे महत्वपूर्ण और ज्वलंत मुद्दे चल रहे हैं। उनमें से सबसे उल्लेखनीय है, किसानों का आंदोलन, COVID-19 वैक्सीन की तैयारी और स्थिति, आर्थिक मंदी, बेरोजगारी का परिदृश्य, भारत-पाकिस्तान सीमा पर सतत संघर्षविराम उल्लंघन। इन अहम मुद्दों पर संसद में संपूर्ण और पारदर्शी बहस व परिचर्चा की आवश्यकता है।'



यह भी पढ़ें: प्रकाश सिंह बादल ने कृषि क़ानूनों के विरोध में लौटाया पद्म विभूषण



कांग्रेस नेता ने आगे लिखा है कि उपरोक्त सभी महत्वपूर्ण मुद्दों पर बहस और चर्चा के लिए  एक छोटा सा शीतकालीन सत्र COVID-19 की सभी सावधानियां बरतते हुए बुलाई जा सकती हैं। इससे देश को वर्तमान महत्वपूर्ण मुद्दों को समझने में मदद मिलेगी। देश फिलहाल उन मुद्दों से जूझ रहा है।'



केंद्र सरकार किसानों को परेशान न करे



अधीर रंजन चौधरी ने गुरुवार को ट्वीट के माध्यम से भी केंद्र सरकार से किसानों को परेशान न करेने की अपील की है। उन्होंने लिखा, 'हजारों किसान पिछले एक हफ्ते से ज्यादा समय से दिल्ली की सड़कों पर बैठकर आंदोलन कर रहे हैं। देश का अन्नदाताओं को उचित सम्मान देना चाहिए। दिल्ली के इस सर्द में किसान खुले आसमान के नीचे सड़कों पर रहना पड़ रहा है। मैं सरकार से अनुरोध करता हूं कि उन्हें परेशान न करे और थकाने की नीति को छोड़कर समस्या समाधान पर जोर दे।'



 





काले क़ानून वापस ले केंद्र सरकार: भूपेश बघेल



छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी कहा है कि केंद्र सरकार को किसानों की मांग का सम्मान करते हुए कृषि कानूनों को वापस लेना चाहिए। एक टीवी चैनल से बातचीत में उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को चाहिए कि वो इस मसले को अपनी ज़िद का मसला न बनाए। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के बनाए नए कृषि कानून किसानों-मज़दूरों के खिलाफ और पूंजीपतियों के हक में हैं। उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन के दबाव में आकर ही केंद्र सरकार आज किसानों से बात करने को तैयार हुई है और आज नहीं तो कल उसे इन काले कानूनों को वापस लेना ही पड़ेगा।