प्रकाश सिंह बादल ने कृषि क़ानूनों के विरोध में लौटाया पद्म विभूषण, सांसद सुखदेव सिंह ढींडसा ने भी पद्म भूषण लौटाया

पंजाब के पूर्व सीएम प्रकाश बादल ने राष्ट्रपति के नाम चिट्ठी में लिखा है, मैं इतना गरीब हूं कि किसानों पर कुर्बान करने के लिए मेरे पास कुछ और नहीं, भारत रत्न के बाद पद्मविभूषण देश का दूसरा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान

Updated: Dec 03, 2020, 10:32 PM IST

Photo Courtesy : The Indian Express
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नई दिल्ली। किसान आंदोलन को मिल रहे व्यापक जन समर्थन को देखते हुए पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी के पूर्व सहयोगी प्रकाश सिंह बादल ने अपना पद्मविभूषण सम्मान लौटा दिया है। शिरोमणि अकाली दल के संरक्षक प्रकाश सिंह बादल ने केंद्र के कृषि कानूनों के विरोध में पद्मविभूषण सम्मान लौटाते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को चिट्ठी भी लिखी है। प्रकाश सिंह बादल ने कहा है कि वे इतने गरीब हैं कि उनके पास किसानों के लिए कुर्बान करने के लिए कुछ और नहीं है। भारत रत्न के बाद पद्मविभूषण देश का दूसरा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान है। इसके साथ ही शिरोमणि अकाली दल ( डेमोक्रेटिक ) के प्रमुख और राज्यसभा सांसद सुखदेव सिंह ढींडसा ने भी अपना पद्म भूषण सम्मान लौटा दिया है। सुखदेव सिंह ढींडसा अटल सरकार में मंत्री रह चुके हैं।

प्रकाश सिंह बादल ने राष्ट्रपति को तीन पन्नों की चिट्ठी लिखी है। अपनी चिट्ठी में उन्होंने किसान आंदोलन का समर्थन किया है। राष्ट्रपति को लिखे अपने पत्र में शिरोमणि अकाली दल नेता ने केंद्र सरकार के कृषि कानूनों को भरपूर आलोचना की है। कृषि कानूनों की आलोचना के साथ साथ बादल ने किसानों पर की गई कार्रवाई की निंदा की है। कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग करते हुए प्रकाश सिंह बादल ने पद्म विभूषण सम्मान को लौटा दिया है।  

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किसानों के आंदोलन को जिस नज़रिए से पेश किया जा रहा है, वो दर्दनाक है : बादल 
प्रकाश सिंह बादल ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को कहा है कि, 'मैं इतना गरीब हूं कि किसानों के लिए कुर्बान करने के लिए मेरे पास कुछ और नहीं है, मैं जो भी हूं किसानों की वजह से हूं। ऐसे में अगर किसानों को अपमान हो रहा है, तो किसी तरह का सम्मान रखने का कोई फायदा नहीं है। प्रकाश सिंह बादल ने लिखा कि किसानों के साथ जिस तरह का धोखा किया गया है, उससे उन्हें काफी दुख पहुंचा है। किसानों के आंदोलन को जिस तरह से गलत नजरिये से पेश किया जा रहा है, वो दर्दनाक है। बता दें कि कई बीजेपी नेता खासकर खुद हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, संवैधानिक पद पर होने के बावजूद किसानों के आंदोलन को खालिस्तानियों का आंदोलन बता चुके हैं। वहीं मोदी सरकार में मंत्री और पूर्व थलसेना अध्यक्ष को आंदोलन की तस्वीरों में कोई किसान ही नज़र नहीं आता है। 

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इससे पहले केंद्र सरकार में बीजेपी की सहयोगी रही पंजाब की क्षेत्रीय पार्टी शिरोमणि अकाली दल ने अपने राज्य के किसानों की नाराज़गी न झेलनी पड़े, इसलिए उसने एनडीए से अपने रास्ते अलग कर लिए। मोदी सरकार में मंत्री और अकाली दल नेता हरसिमरत कौर बादल ने मंत्री पद से इस्तीफा भी दे दिया। और अब प्रकाश सिंह बादल ने एक कदम आगे बढ़ते हुए अपना सम्मान लौटा दिया है। 

अब तो अपनी ज़िद छोड़ें मोदी : दिग्विजय सिंह 
प्रकाश सिंह बादल द्वारा पद्म विभूषण सम्मान लौटाने को लेकर दिग्विजय सिंह ने कहा है कि कम से कम अब तो प्रधानमंत्री मोदी को अपनी ज़िद छोड़कर किसानों की बात मान लेनी चाहिए। दिग्विजय सिंह ने ट्वीट कर कहा है कि, 'प्रकाश सिंह जी बादल भाजपा व NDA के सबसे पुराने साथी रहे हैं। उन्होंने अपना पद्म विभूषण सम्मान भी वापस कर दिया। मोदी जी अब तो अपनी ज़िद छोड़ें और किसान विरोधी क़ानून वापस ले कर इन तीनों क़ानूनों को किसान संघटनों से चर्चा कर पुन: संसद में लाएँ।' 

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यहां गौर करने वाली बात यह है कि प्रकाश सिंह बादल ने अपना सम्मान उस समय लौटाया है जब किसानों के इस आंदोलन में पंजाब के मुख्यमंत्री और कांग्रेसी नेता कैप्टन अमरिंदर सिंह अब एक मुख्य चेहरे के तौर पर देखे जा रहे हैं। कृषि कानूनों का विरोध भी सबसे पहले पंजाब में ही हुआ था और इस कानून के विरोध में अमरिंदर सिंह पंजाब विधानसभा में बिल भी पारित कर चुके हैं।अमरिंदर सिंह ने आज गृह मंत्री अमित शाह से मुलाक़ात भी है। अमरिंदर सिंह ने मीडिया को जारी अपने बयान में कहा है कि केंद्र सरकार को जल्द से जल्द किसानों की समस्या का निपटारा करना चाहिए। आज यानी गुरूवार को दोपहर तीन बजे किसान नेताओं और केंद्र के बीच दुसरे दौर की वार्ता भी होने वाली है।