नई दिल्ली। कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ लड़ाई में भारत के लिए आज एक बड़ी खुशखबरी आई है। ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका और और भारत बायोटेक की कोरोना वैक्सीनों के आपात इस्तेमाल को अंतिम मंजूरी दे दी है। इसी के साथ वैक्सीन को लेकर लंबे समय से देशवासियों का इंतजार खत्म हो गया है। उम्मीद की जा रही है कि अगले एक-दो हफ्तों यह दोनों वैक्सीन मार्केट में आएगी।



DCGI के अधिकारी वी.जी सोमानी ने रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि दोनों कंपनियों ने ट्रायल रन के आंकड़े जमा कर दिए हैं और दोनों को सीमित उपयोग के लिए मंजूरी दी जाती है। सोमानी ने कहा, 'यदि सुरक्षा से जुड़ी थोड़ी सी भी शंका होती तो हम कभी किसी भी चीज को अनुमति नहीं देते। दोनों वैक्सीन 100 प्रतिशत सुरक्षित हैं।' 



कोरोना वैक्सीन को मंजूरी मिलने पर पीएम मोदी ने खुशी जाहिर करते हुए देशवासियों को बधाई दी है। मोदी ने ट्वीट किया, 'वैश्विक महामारी के खिलाफ भारत की जंग में एक निर्णायक क्षण! सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और भारत बायोटेक  की वैक्सीन को DCGI की मंजूरी से एक स्वस्थ और कोविड मुक्त भारत की मुहिम को बल मिलेगा। इस मुहिम में जी-जान से जुटे वैज्ञानिकों-इनोवेटर्स को शुभकामनाएं और देशवासियों को बधाई।'



 





मोदी ने एक अन्य ट्वीट में इन दोनों टीके को मेड इन इंडिया बताया है। उन्होंने लिखा, 'यह गर्व की बात है कि जिन दो वैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल को मंजूरी दी गई है, वे दोनों मेड इन इंडिया हैं। यह आत्मनिर्भर भारत के सपने को पूरा करने के लिए हमारे वैज्ञानिक समुदाय की इच्छाशक्ति को दर्शाता है। वह आत्मनिर्भर भारत, जिसका आधार है- सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया।'





 



हालांकि कोविशील्ड वैक्सीन को किसी भारतीय कंपनी ने नहीं, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्रा जेनेका ने मिलकर विकसित किया है। हां, इस वैक्सीन के बड़े पैमाने पर प्रोडक्शन ज़रूर भारत की कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया कर रही है। 'कोवैक्सीन' के नाम से बनाया जा रहा कोरोना का टीका भारत में ही विकसित है और इसे भारत बायोटेक ने बनाया है।



गौरतलब है कि कल ही भारत सरकार ने वैक्सीन की पहुंच को जांचने के लिए ड्राई रन करवाया था। ड्राई रन का मुख्य लक्ष्य यह जांच करना था कि इस पूरी प्रक्रिया के दौरान लोगों को कोई परेशानी तो नहीं हो रही है? इस ड्राई रन के लिए करीब 96 हजार स्वास्थ्य कर्मियों को वैक्सीन लगाने की ट्रेनिंग दी गई। ड्राई रन के दौरान टीकाकरण के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन, डेटा एंट्री, मोबाइल पर ज़रूरी संदेश भेजने और टीकाकरण के बाद उसका इलेक्ट्रॉनिक सर्टिफिकेट जारी करने की पूरी प्रक्रिया की मॉक ड्रिल की गई।