नई दिल्ली। एंटीलिया विस्फोटक मामले की जांच करने की ज़िम्मेदारी केंद्र सरकार ने भले ही NIA को सौंप दी हो, लेकिन महाराष्ट्र सरकार अपनी तरफ से एटीएस की जांच को भी जारी रख सकती है। यह मानना है मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का। उन्होंने कहा है कि महाराष्ट्र सरकार को इस मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी करवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख भी करना चाहिए। कांग्रेस नेता के मुताबिक महाराष्ट्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट से यह मांग करनी चाहिए कि NIA की जांच उसकी निगरानी में हो। दिग्विजय सिंह ने कहा कि अगर ऐसा नहीं किया गया तो निष्पक्ष जांच हो पाने की उम्मीद नहीं है। 

कांग्रेस के राज्यसभा सांसद ने इस मामले में अपनी राय ट्विटर के जरिए जाहिर करते हुए लिखा है, "उन्होंने ट्विटर पर इस बारे में लिखा है, “मुझे नहीं लगता कि महाराष्ट्र एटीएस अगर इस मामले की जाँच साथ-साथ जारी रखे तो उसमें कोई क़ानूनी रुकावट है। या फिर महाराष्ट्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध करना चाहिए कि NIA की जाँच न्यायपालिक की निगरानी में करवाई जाए। अगर ऐसा नहीं हुआ तो NIA के डायरेक्टर निश्चित ही इस केस को बंद कर देंगे।”"

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दिग्विजय सिंह इससे पहले भी कह चुके हैं कि NIA की जांच भरोसे के काबिल नहीं है। उनका कहना है कि NIA के डायरेक्टर जनरल वाई सी मोदी बम धमाकों की जांच के दौरान आरएसएस से जुड़े लोगों को राहत दे चुके हैं।  महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने भी कहा है कि मुंबई पुलिस इस पूरे मामले की जांच कर रही थी। लेकिन जिस तरह से केंद्र सरकार ने इस पूरे मामले की जांच NIA को सौंप दी है, उससे लग रहा है कि दाल में ज़रूर कुछ काला है।

25 फरवरी को उद्योगपति मुकेश अंबानी के आवास एंटीलिया के बाहर एक संदिग्ध स्कॉर्पियो पाई गई थी, जिसमें शक्तिशाली विस्फोटक जिलेटिन की 20 छड़ें बरामद की गई थीं। साथ ही उस गाड़ी से धमकी भरे पत्र भी मिले थे। इस स्कॉर्पियो के मालिक मनसुख हिरेन थे। लेकिन 18 फरवरी को ही उन्होंने अपनी गाड़ी के चोरी होने की शिकायत पुलिस में दर्ज कराई थी।

मामले की जांच चल ही रही थी कि बीते शुक्रवार को कोलाबा स्ट्रीट के पास मनसुख की लाश मिली। वे गुरुवार रात 9 बजे घर से बाहर निकले थे। अब तक की जांच के आधार पर पुलिस को शक है कि मनसुख हिरेन ने आत्महत्या की है। लेकिन मनसुख का परिवार उनकी हत्या की आशंका जाहिर कर रहा है।