नई दिल्ली। गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में हुई हिंसा के कवरेज को लेकर उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में कई पत्रकारों के खिलाफ मुकदमे दर्ज किए गए हैं। पत्रकारों के खिलाफ चलाई जा रही इस मुहिम का एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने विरोध किया है। एडिटर्स गिल्ड ने पत्रकारों के ऊपर दर्ज किए गए मुकदमों को उन्हें प्रताड़ित करने की कोशिश बताते हुए कहा है कि उन्हें जल्द से जल्द वापस लिए जाने की मांग की है। 

पत्रकारों द्वारा रिपोर्ट साझा करना लाज़मी था: एडिटर्स गिल्ड 

एडिटर्स गिल्ड ने मुकदमों की आलोचना करते हुए कहा है कि 26 जनवरी को हिंसा के दौरान ग्राउंड पर मौजूद प्रत्यक्ष दर्शियों तथा पुलिस के द्वारा सूचनाएं सामने आ रही थीं। ऐसे में पत्रकारों द्वारा जानकारी को साझा करना लाज़मी था। एडिटर्स गिल्ड ने कहा है कि पत्रकारों के खिलाफ मुकदमा उन्हें प्रताड़ित करने के उद्देश्य से किया गया है। एडिटर्स गिल्ड के मुताबिक पत्रकारों ने हिंसा की रिपोर्ट पत्रकारिता के तय मानकों के दायरे में ही की थी। लिहाज़ा यह कहना कि उन्होंने हिंसा को भड़काया सरासर यह सच्चाई से काफी दूर है।

एडिटर्स गिल्ड ने कहा है कि पत्रकारों के खिलाफ की जा रही कार्रवाई लोकतंत्र के सिद्धांतों की अवेहलना करती है। यह पत्रकारों को स्वतंत्र पत्रकारिता करने से रोकती है। एडिटर्स गिल्ड ने कहा है कि जल्द से जल्द पत्रकारों के खिलाफ दर्ज मुकदमे वापस लिए जाने चाहिए ताकि स्वतंत्रता और बिना भय के रिपोर्ट कर सकें। 

राजदीप सरदेसाई और मृणाल पांडे समेत 6 पत्रकारों के खिलाफ यूपी के नोएडा में मुकदमा दर्ज किया गया है। इनके खिलाफ आईपीसी की दस और आईटी एक्ट की धारा 66 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। पत्रकारों के खिलाफ देशद्रोह और हिंसा भड़काने की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है। पत्रकारों के साथ साथ कांग्रेस नेता शशि थरूर के ऊपर भी इन्हीं मामलों में मुकदमा दर्ज किया है।