जयपुर। काफी चर्चाओं के बाद एक बार फिर घनश्याम तिवाड़ी बीजेपी में वापस आ गए हैं। राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के धुर विरोधी माने जाने वाले तिवाड़ी की भाजपा में घर वापसी हो गई है। कहा जाता है कि राज्य की पिछ्ली भाजपा सरकार के दौरान तिवाड़ी को वो मान-सम्मान नहीं मिला जो भैरों सिंह शेखावत या अन्य सरकारों के समय में मिला। साथ ही संगठन में भी घनश्याम तिवाड़ी को विशेष स्थान नहीं मिला। लिहाज़ा तिवाड़ी ने बीजेपी और वसुंधरा राजे की सरकार से दूरी बना ली थी। 

बता दें कि भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया बने तो उसके बाद से ही लगने लगा था कि घनश्याम तिवाड़ी की घर वापसी होगी। राजस्थान की राजनीति में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया भी पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के विरोधी खेमे के माने जाते हैं। वसुंधरा के धुर विरोधी घनश्याम तिवाड़ी के लिए की बीजेपी में वापसी के लिए यह बेहतर मौका साबित हुआ। 

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घनश्याम तिवाड़ी ने मौका भांपकर भारतीय जनता पार्टी में वापसी को लेकर सतीश पूनिया को पत्र लिखा तो उन्होंने भाजपा आलाकमान से राय मशविरा किया, जिसके बाद उन्हें पार्टी में वापस लाया गया। उधर, घनश्याम तिवाड़ी की वापसी के राजनीतिक मायने भी लगाए जा रहे है। जानकारों का कहना है कि तिवाड़ी की घर वापसी से सतीश पूनिया को मजबूती मिलेगी। तिवाड़ी की वापसी को वसुंधरा खेमे को कमज़ोर करने की कोशिश के तौर पर भी देखा जा रहा है।

घनश्याम तिवाड़ी राजस्थान में बीजेपी के सबसे कद्दावर नेताओं में शामिल रहे हैं। लेकिन राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से तिवाड़ी के संबंध कभी अच्छे नहीं रहे। सांगानेर सीट से तीन बार विधायक रहे घनश्याम तिवाड़ी ने वसुंधरा से हुए गतिरोध के चलते ही पिछले विधानसभा चुनाव के समय पार्टी को अलविदा कह दिया था। जिसके बाद सीकर के पूर्व विधायक तिवाड़ी ने विधानसभा चुनाव के दौरान भारत वाहिनी पार्टी बना ली। हालांकि पार्टी और तिवाड़ी कुछ कमाल नहीं दिखा सके। तिवाड़ी खुद अपनी सीट हार गए और उनकी पार्टी के खाते में भी कोई जीत दर्ज नहीं हुई। लिहाज़ा राजस्थान विधानसभा में 6 बार विधायक रहे तिवाड़ी ने लोकसभा चुनावों से पहले कांग्रेस का दामन थाम लिया था। लेकिन तिवाड़ी की सक्रियता कांग्रेस में ज़्यादा दिखाई नहीं दी। कांग्रेस में रहने के बावजूद तिवाड़ी इक्का दुक्का कार्यक्रमों में ही कांग्रेस के मंच पर नज़र आते थे।