Rajasthan Politics: कांग्रेस नेता घनश्याम तिवाड़ी के बीजेपी में वापसी के संकेत

Rajasthan BJP: माना जा रहा है कि वसुंधरा राजे को किनारे करने के लिए तिवाड़ी के लिए रास्ता बना रही है बीजेपी, तिवाड़ी वसुंधरा खेमे के धुर विरोधी माने जाते हैं

Updated: Aug 25, 2020, 06:39 AM IST

Photo Courtesy: wikipedia
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जयपुर। बीजेपी के कद्दावर नेता रहे घनश्याम तिवाड़ी को अब एक बार फिर बीजेपी अपने खेमे में लाने की तैयारी कर रही है। सूत्रों के अनुसार राजस्थान बीजेपी का वसुंधरा विरोधी खेमा घनश्याम तिवाड़ी की बीजेपी में वापसी कराना चाहता है। जिसके लिए वसुंधरा विरोधी खेमे के केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पुनिया सक्रिय हो गए हैं। भैरो सिंह शेखावत सरकार में ऊर्जा मंत्री रहे घनश्याम तिवाड़ी ने वसुंधरा से मतभेद के बाद पार्टी छोड़ दी थी।    

घनश्याम तिवाड़ी राजस्थान में बीजेपी के सबसे कद्दावर नेताओं में से एक रहे हैं।राजस्थान में बीजेपी को खड़ा करने का श्रेय तिवाड़ी को ही दिया जाता है। लेकिन राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से घनश्याम तिवाड़ी के संबंध कभी मधुर नहीं रहे। संगनेर सीट से तीन बार विधायक रहे घनश्याम तिवाड़ी ने वसुंधरा से हुए गतिरोध के चलते पिछले विधानसभा चुनाव के समय पार्टी को अलविदा कह दिया था। जिसके बाद सीकर के पूर्व विधायक तिवाड़ी ने विधानसभा चुनाव के दौरान भारत वाहिनी पार्टी बना ली। हालांकि पार्टी और तिवाड़ी कुछ कमाल नहीं दिखा सके। तिवाड़ी खुद अपनी सीट से हार गए और पार्टी के भी खाते में एक भी जीत दर्ज नहीं हुई। लिहाज़ा राजस्थान विधानसभा में 6 बार विधायक रहे तिवाड़ी ने लोकसभा चुनावों से पहले कांग्रेस का दामन थाम लिया था। लेकिन तिवाड़ी की सक्रियता कांग्रेस में ज़्यादा दिखाई नहीं दी थी। कांग्रेस में रहने के बावजूद तिवाड़ी इक्का दुक्का कार्यक्रम में ही कांग्रेस के मंच पर दिखे थे।    

लेकिन अब, जबकि पिछले महीने राजस्थान के सियासी संकट के दौर में बीजेपी में एक बार फिर वसुंधरा विरोधी खेमा सक्रिय हो गया है, ऐसे में यह खेमा तिवाड़ी को पार्टी में वापस लाने की पुरजोर कोशिश में जुट गया है। वसुंधरा को पूरे घटनाक्रम में न सिर्फ बीजेपी की प्रदेश इकाई बल्कि पार्टी की राष्ट्रीय इकाई से भी दरकिनार कर दिया गया है। जब बीजेपी वसुंधरा खेमे के विधायकों को वसुंधरा से बिना पूछे गुजरात शिफ्ट कर रही थी, तब इसके विरोध में वसुंधरा ने दिल्ली में डेरा डाल दिया था। लेकिन वसुंधरा की वहां भी कोई सुनवाई नहीं हुई थी। तिवाड़ी की वापसी को भी वसुंधरा खेमे को कमज़ोर करने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।