नई दिल्ली। जीएसटी मुआवजे के मुद्दे पर सोमवार 12 अक्टूबर को तीसरी बार जीएसटी काउंसिल की बैठक होगी। इस बैठक में गैर बीजेपी सरकारों वाले राज्यों के सुझावों पर चर्चा होगी। इन राज्यों ने मुआवजे के भुगतान पर सहमति के लिए मंत्रालय स्तर का पैनल बनाने का सुझाव दिया है। जबकि बीजेपी और उसके गठबंधन वाली सरकारों समेत बाकी 21 राज्यों की सरकारें जीएसएटी मुआवजे की भरपाई के लिए कर्ज लेने के मोदी सरकार के सुझाव से सहमत हैं। काउंसिल की बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण करेंगी।

इससे पहले पिछले सप्ताह भी जीएसटी परिषद की बैठक हुई थी। जिसमें कार और तंबाकू प्रोडक्ट्स जैसे विलासिता वाले सामानों पर जून 2022 से आगे भी सरचार्ज बढ़ाए जाने पर सहमति बनी थी। लेकिन जीएसटी मुआवजे को लेकर इस बैठक में कोई सहमति नहीं बन पाई थी।

जीएसटी लागू होने की वजह से राज्यों के टैक्स कलेक्शन में होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए जीएसटी कानून में केंद्र की तरफ से मुआवजा दिए जाने का प्रावधान किया गया है। चालू वित्त वर्ष के लिए मुआवजे की यह रकम 2.35 लाख करोड़ रुपये है। कायदे से केंद्र सरकार को इसका भुगतान करना चाहिए, जो उसकी संवैधानिक जिम्मेदारी है। लेकिन मोदी सरकार अपनी इस जिम्मेदारी से पल्ला झाड़कर इसका बोझ कर्ज की शक्ल में राज्यों पर डालना चाहती है। मोदी सरकार ने इसके लिए दो विकल्प सुझाए हैं। दोनों ही विकल्पों में राज्य सरकारों को उधार लेना पड़ेगा।

पहले विकल्प के तहत राज्य सरकारें आरबीआई की स्पेशल विंडो से 97 हज़ार करोड़ रुपये उधार ले सकती हैं, जबकि दूसरे विकल्प में वे पूरा 2.35 लाख करोड़ रुपये बाजार से उधार ले सकती हैं। बीजेपी शासित राज्य पहले विकल्प से सहमत हैं। चालू वित्त वर्ष में केंद्र सरकार अब तक 20 हजार करोड़ रुपये का भुगतान कर चुकी है। लेकिन गैर बीजेपी शासित राज्य बार-बार कह रहे हैं कि मुआवजा चुकाने की जिम्मेदारी केंद्र सरकार की है, इसलिए अगर उधार लेना भी है तो यह काम केंद्र सरकार को करना चाहिए।