नई दिल्ली। कोरोना वायरस महामारी के बढ़ते खतरे के बीच सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर कोई विश्वविद्यालय चाहे तो वह पहले और दूसरे साल की परीक्षा ले सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी एक याचिका को खारिज करते हुए दी है। इस याचिका में इन परीक्षाओं को ना कराने और छात्रों को प्रमोट करने का अनुरोध किया गया था। याचिका इंदिरा गांधा राष्ट्रीय मु्क्त विश्वविद्यालय (इग्नू) के छात्र ने डाली थी। 

याचिका में कहा गया था कि तमाम विश्वविद्यालयों ने अपने छात्रों को बिना परीक्षा लिए प्रमोट किया है। लेकिन इग्नू ने कहा है कि वो दिसंबर में परीक्षाएं लेगा। याचिका में कहा गया कि विश्वविद्यालय ऐसा करके छात्रों के स्वास्थ्य को खतरे में डालेगा बल्कि उन्हें समानता के अधिकार से वंचित करेगा। 

सुप्रीम कोर्ट ने इग्नू के फैसले को सही ठहराया। जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि इग्नू दिसंबर में पहले और दूसरे वर्ष की परीक्षा लेना चाहता है। इसमें कुछ भी गलत नहीं है। विश्वविद्यालय चाहें तो पहले और दूसरे साल की परीक्षा ले सकते हैं। 

इससे पहले यूजीसी ने 6 जुलाई को एक सर्कुलर जारी किया था। इस सर्कुलर में सभी विश्वविद्यालयों से 30 सितंबर तक अंतिम वर्ष की परीक्षाएं कराने के लिए कहा गया था। यूजीसी के इस सर्कुलर के खिलाफ भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली गई थी। जिसे खारिज करते हुए कोर्ट ने टिप्पणी की थी अंतिम वर्ष के छात्रों को बिना परीक्षा के पास नहीं किया जा सकता।