चीन के रक्षा मंत्री वेई फेंघे ने भारत के रक्षा मंत्री से कहा कि एलएसी पर बने तनाव के लिए भारत ही पूरी तरह से जिम्मेदार है और चीन अपनी एक इंच जमीन भी नहीं देगा। दूसरी तरफ राजनाथ सिंह ने कहा कि चीनी सैनिकों की कार्रवाई, बड़ी संख्या में सैनिकों को इकट्ठा करना और उनका आक्रामक व्यवहार एवं एतरफा तरीके से यथास्थिति को बदलने की कोशिश द्विपक्षीय समझौतों के  उल्लंघन में थे। राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत अपनी संप्रभुता की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध है। दोनों की मुलाकात मॉस्को में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन की बैठक में हुई।

इस बातचीत में राजनाथ सिंह ने आगे कहा कि मौजूदा स्थिति को जिम्मेदारी के साथ संभाला जाना चाहिए और किसी भी पक्ष को आगे ऐसी कोई कार्रवाई नहीं करनी चाहिए जो स्थिति को जटिल बनाए। दूसरी तरफ चीन के रक्षा मंत्री ने भी कहा कि सीमा विवाद के कारण दोनों देशों के बीच रिश्ते हाल में काफी खराब हुए हैं और इन्हें सुलझाने के लिए सामने बैठकर बात करना जरूरी है।

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इससे पहले चीन के रक्षा मंत्री ने भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से शंघाई सहयोग संगठन की बैठक में मुलाकात की इच्छा जताई थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक राजनाथ सिंह भी वेई फेंघे से मुलाकात करना चाहते थे। 

31 अगस्त को भारतीय सेना ने जानकारी दी थी कि चीनी सैनिकों ने 29-30 अगस्त की दरम्यानी रात को पूर्वी लद्दाख में पैंगोग त्सो झील के दक्षिणी इलाके में घुसपैठ की कोशिश की और एकतरफा तरीके से यथास्थिति को बदलने के लिए उकसावे की कार्रवाई की। भारतीय सेना ने आगे बताया कि भारतीय सैनिकों ने समय पर उचित कदम उठाकर चीनी सैनिकों के मंसूबों पर पानी फेर दिया। इस पूरे घटनाक्रम के बाद दोनों पक्षों के बीच कमांडर स्तर की वार्ता चली। वहीं एक सितंबर को भारतीय विदेश मंत्रालय ने बताया कि जब दोनों पक्षों के बीच बातचीत चल रही थी तब चीनी सैनिकों ने एक बार फिर से 31 अगस्त को उकसावे की कार्रवाई की। 

उधर चीन ने एलएसी पर हुए तनाव की सारी जिम्मेदारी भारत पर डाल दी है। इससे पहले 15 जून को दोनों पक्षों के बीच गलवान घाटी में हिंसक झड़प हुई थी। इस झड़प में भारत के 20 सैनिक शहीद हो गए। चीनी सैनिक भी मारे गए। हालांकि, चीन ने अब तक उनकी संख्या की घोषणा नहीं की है। इस झड़प के बाद दोनों सेनाओं ने सीमा पर सैनिकों की भारी तैनाती कर दी। सैटेलाइट तस्वीरों से पता चला कि चीनी सैनिकों ने एलएसी के भारतीय इलाकों में कई जगह पर कब्जा कर लिया है। 

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इस तनाव को खत्म करने के लिए दोनों पक्षों के बीच कई चरणों में कमांडर स्तर की बैठकें हुईं। इन बैठकों के बाद दोनों पक्षों के सैनिक कई इलाकों से पीछे हटे। हालांकि चीनी सैनिक उत्तरी पैंगोग त्सो, डेपसांग और फिंगर इलाकों में कब्जा जमाए रहे।